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राज्यपाल के आदेश पर ध्यान देते हैं नौकरशाह, जम्मू कश्मीर के विधायकों का आरोप - JAMMU KASHMIR

जम्मू कश्मीर कई विधायकों ने शिकायत की है कि नौकरशाही सीएम और विधायकों की तुलना में राज्यपाल के आदेशों पर अधिक ध्यान देती है.

Manoj Sinha and Omar Abdullah
राज्यपाल मनोज सिन्हा और सीएम उमर अब्दुल्ला (फाइल फोटो ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 7, 2025, 6:39 PM IST

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में विधायकों की लापरवाही की शिकायतों के बाद अब निर्वाचित विधायकों को आधिकारिक मशीनरी में विशेषाधिकार और प्रोटोकॉल मिलेगा. केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में कानून-व्यवस्था और नौकरशाही के महत्वपूर्ण मामलों पर उपराज्यपाल का अधिक अधिकार है और मुख्यमंत्री के पास उनसे कम पावर है.

बता दें कि कई विधायकों और सरकारी अधिकारियों की शिकायत है कि दोहरे नियंत्रण ने भ्रम पैदा किया है और नौकरशाही सीएम और विधायकों की तुलना में राज्यपाल के आदेशों पर अधिक ध्यान देती है. विधायकों ने मुख्यमंत्री कार्यालय और उनके सलाहकार से की गई शिकायतों के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने अपने अधिकारियों और कर्मियों से उचित सहयोग करने और जनप्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए मुद्दों को प्राथमिकता देने को कहा है.

जन प्रतिनिधियों के चिह्नित मुद्दों को प्राथमिकता दें
जनरल एजमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट कमिशनर एम राजू ने आज सभी विभागों के लिए एक आदेश जारी करते हुए कहा, "केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के विधान सभा निर्वाचित सदस्यों से जमीनी स्तर पर शासन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद की जाती है और इसके लिए यह जरूरी हो जाता है कि सभी सरकारी विभाग, अधिकारी और कर्मचारी उचित सहयोग दें और इन जन प्रतिनिधियों द्वारा उजागर/चिह्नित मुद्दों को प्राथमिकता दें."

नौकरशाही राज्यपाल के अधीन
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 द्वारा शासित केंद्र शासित प्रदेश में राज्यपाल के पास पुलिस, नौकरशाही पर अधिकार है. यानी आईपीएस, आईएएस और आईएफएस अधिकारी उनके अधीन हैं, जबकि जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक अधिकारी सीएम के शासन के अधीन हैं. सूत्रों ने कहा कि अक्टूबर में निर्वाचित सरकार के शपथ लेने के बाद से एलजी मनोज सिन्हा और सीएम उमर अब्दुल्ला के बीच संघर्ष और मनमुटाव के कई मुद्दे सामने आए हैं.

सूत्रों ने बताया कि अक्टूबर में निर्वाचित सरकार के शपथ लेने के बाद से ही एलजी मनोज सिन्हा और सीएम उमर अब्दुल्ला के बीच टकराव और मनमुटाव के कई मुद्दे सामने आए हैं. उन्होंने बताया कि एडवोकेट जनरल की महत्वपूर्ण नियुक्ति अभी भी लंबित है, जबकि निर्वाचित सरकार ने पिछले एडवोकेट जनरल डीसी रैना को पद पर बने रहने की मंजूरी दे दी है.

अधिकारियों ने बताया कि जनरल एजमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ने अपने ताजा आदेश में प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच विधायकों को लेकर बनी अस्पष्टता को दूर कर दिया है, जिसमें विधायकों को समायोजित करने और उचित प्रोटोकॉल देने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं.

सभी अधिकारियों को निर्देश
राजू ने कहा, "इसके अनुसार केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को निर्देश दिया जाता है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को सार्वजनिक कार्यालयों में प्राथमिकता के आधार पर उपस्थित होना चाहिए और स्थापित सरकारी मानदंडों और दिशानिर्देशों के अनुसार उचित प्रोटोकॉल का पालन किया जाना चाहिए."

उन्होंने अधिकारियों से विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों और जन शिकायतों को प्राथमिकता देने को कहा है. उन्होंने कहा, "यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को उनके अधिकार क्षेत्र में आयोजित सभी आधिकारिक समारोहों और बैठकों में आमंत्रित किया जाए और साथ ही उनके अधिकार क्षेत्र में किसी भी गणमान्य व्यक्ति के आधिकारिक दौरे की स्थिति में भी आमंत्रित किया जाए. इन निर्देशों को तत्काल और सख्त अनुपालन के लिए सभी संबंधितों के ध्यान में लाया जाता है."

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