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वक्फ बोर्ड को हाई कोर्ट से बड़ा झटका, कहा-शाहजहां की बहू का मकबरा बोर्ड की संपत्ति नहीं - Jabalpur High Court Decision

मध्य प्रदेश में जबलपुर हाईकोर्ट मंदिर-मस्जिद से जुड़ी संपत्ति को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि शाहजहां की बहू का मकबरा वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं है.

JABALPUR HIGH COURT DECISION
वक्फ बोर्ड को हाई कोर्ट से बड़ा झटका (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 1, 2024, 8:19 PM IST

जबलपुर। हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के खिलाफ एक आदेश जारी किया है. जिसमें बोर्ड ने मुगल बादशाह शाहजहां की बहू के मकबरे को अपनी संपत्ति बताया था. बुरहानपुर में ऐसी तीन दूसरी इमारत को भी बोर्ड अपनी संपत्ति बता रहा था, लेकिन कोर्ट का कहना है कि 'यह संपत्तियां मुगल काल की है और इन पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया का अधिकार है, वक्फ बोर्ड का अधिकार नहीं है.

मकबरे की संपत्ति को पर हाईकोर्ट का फैसला (ETV Bharat)

शाहजहां की बहू का मकबरा वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं

बुरहानपुर में मुगल काल की कई इमारतें हैं. इन इमारत की उम्र 100 साल से ज्यादा है, लेकिन वक्फ बोर्ड ने इन इमारत को अपनी संपत्ति बताना शुरू कर दिया है. सामान्य आवेदन पर इन संपत्तियों का अधिग्रहण कर लिया गया है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में गुरुवार को एक याचिका पर सुनवाई की गई. जिसमें बुरहानपुर की तीन ऐतिहासिक इमारतों के बारे में एडवोकेट कौशलेंद्र पेठियां ने इस बात पर आपत्ति जताई कि मुगल बादशाह शाहजहां की बहू का मकबरा वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं हो सकता.

पुरानी इमारतें आर्कियोलॉजिकल ऑफ इंडिया की संपत्ति

इसी तरह दो दूसरी इमारतें हैं, जो 100 साल से ज्यादा पुरानी है. इन्हें भी बोर्ड ने अपनी संपत्ति बताना शुरू कर दिया था. यह इमारतें भी बोर्ड की संपत्ति नहीं हो सकती, क्योंकि 100 साल से ज्यादा पुरानी इमारत के लिए प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत नियम बने हैं. जिसमें इन इमारत का संरक्षण आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया करेगा. यह आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की या भारत सरकार की संपत्ति मानी जाएगी.

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मंदिर-मस्जिद मकबरे की पुरानी संपत्ति निजी स्वामित्व नहीं

दरअसल, वक्फ बोर्ड ने कुछ दिनों पहले इन संपत्तियों को लेकर एक अधिसूचना जारी की थी. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब बोर्ड को अपना अधिकार इन संपत्तियों से अलग करना होगा. जो भी संपत्ति आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के अधिकार की है. उसमें किसी किस्म की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. वह जिस स्थिति में है, उसके इस रूप में संरक्षित करना है. कौशलेंद्र नाथ पेठियां ने बताया कि 'लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि 100 साल से पुरानी संपत्तियां मंदिर, मस्जिद और मकबरे यदि आपके आसपास हैं तो इनके बारे में आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया को जानकारी दीजिए. यह संपत्तियां हमारे इतिहास से जुड़ी हुई हैं और इन पर किसी का निजी स्वामित्व नहीं हो सकता.'

एडवोकेट कौशलेंद्र नाथ का कहना है कि 'सुप्रीम कोर्ट पहले भी एक मामले में यह स्पष्ट कर चुका है कि 100 साल से पुरानी संपत्तियां पुरातत्व महत्व की होती हैं और इनका संरक्षण करना सरकार और आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की जिम्मेवारी है.

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