पटना:कभी घरों की चारदिवारी में रहने वाली महिलाएं, आज आसमां की बुलंदियों को छू रही हैं. बिहार की महिलाओं ने भी अपने मेहनत के दम पर देशभर में प्रदेश का नाम रौशन किया है. सशक्त महिलाओं की फेहरिस्त में एक नाम देशभर में मशहूर पद्म श्री से सम्मानित किसान चाची का भी है. किसान चाची ने उस वक्त अपनी मिसाल पेश की, जब महिलाओं को घरों में रहने की सलाह दी जाती थी.
बिहार की किसान चाची महिलाओं की रोल मॉडल:किसान चाची आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. किसान चाची का असली नाम राजकुमारी देवी है, लेकिन आज पूरा देश उन्हें किसान चाची के नाम से जानता है. किसान चाची मूल रूप से मुजफ्फपुर के सरैया प्रखंड के आनंदपुर की रहने वाली हैं. पहले खुद के घर में, फिर समाज में बेटी होने की वजह से भेदभाव का सामना करने के बावजूद हार नहीं मानी. उन्होंने अपने बुलंद हौसले के दम पर न सिर्फ सामाजिक बंधनों का विरोध किया, बल्कि अपनी मेहनत से कई महिलाओं की किस्मत भी बदली है.
बेटी होने की वजह से घर और समाज में भेदभाव: ईटीवी भारत से खास बातचीत में किसान चाची ने बताया कि उनका जन्म एक शिक्षक के घर में हुआ था. वह शिक्षिका बनना चाहती थी, लेकिन पढ़ें-लिखे परिवार में जन्म लेने के बावजूद बेटी होने की वजह से उन्हें अपनी इच्छाओं को मारना पड़ा. 1974 में मैट्रिक पास होते ही कम उम्र में ही उनकी शादी एक किसान परिवार में अवधेश कुमार चौधरी से कर दी गई. शादी के बाद वह अपने परिवार के साथ मुजफ्फरपुर जिले के आनंदपुर गांव में रहने लगी.
परिवार की स्थिति संभालने के लिए शुरू की खेती:किसान चाची ने बताया कि "मेरा परिवार बहुत खराब दौर से गुजर रहा था. गांव में जमीन थी, मैनें उस जमीन पर 1990 से परंपरागत तरीके से सब्जी से खेती करनी शुरू की. खुद से खेती करने पर ग्रामीण और रिश्तेदार नाखुश रहते थे. हालांकि सब्जी से शुरुआत अच्छी थी, लेकिन मुनाफा नहीं हो रहा था. इसके बाद वैज्ञानिक तरीके को अपनाकर अपने खेती-बाड़ी को उन्नत किया."किसान चाची ने कृषि विज्ञान भवन जाकर वहां से नए तरीके से खेती करना सीखा."
देश-विदेश में मशहूर किसान चाची का अचार:खेती-बाड़ी के बाद वो यहीं नहीं रुकी, उन्हें कुछ बेहतर करना था, जिस वजह से उन्होंने कई तरह के अचार बनाने की शुरुआत की. उन्होंने घर से ही वर्ष 2000 में अचार बनाना शुरू किया, जो आज किसान चाची का अचार के नाम से देश-विदेश में प्रसिद्ध है. शुरुआती दौर में किसान चाची ने आस-पास की महिलाओं के साथ जुड़कर खेती उपज से कई तरह के अचार जैसे मिर्च, बेल, निम्बू, आम और आंवला के आचार को बाजार में बेचना शुरू किया.
साइकिल पर अचार बेचने निकलती किसान चाची: देखा जाए तो आज से करीब 15 साल पहले महिलाएं घरों से ज्यादा बाहर नहीं निकलती थी, लेकिन किसान चाची उन आम महिलाओं से बिलकुल हट कर थीं.उस दौर में भी किसान चाची साइकल पर सवार होकर अपना अचार लेकर गांव-गांव घूमकर बेचा करती थीं. इसके वजह से उन्हें कई तरह के ताने भी सुनने को मिलते थे, गांव के बच्चे और जवान साइकिल चलाते देखते तो पीछे से मजाक उड़ाते. साइकिल के पीछे हुलरबाजी करते, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने किसी पर ध्यान नहीं दिया और आखिरकार अपने दम पर अपनी पहचान बनाई. वही लोग आज उन्हें सम्मान की नजरों से देखते हैं.