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मात्र 30 सेकेंड के अंदर शिकार को खत्म करने की क्षमता, कैसा होता बाघ का जीवन.. कितनी देर कर सकता है संभोग? - International Tiger Day

Valmiki Tiger Reserve: सुनसान रास्ते से गुजरते समय अगर पीछे से बाघ की दहाड़ सुनाई दे तो पैंट गीला होना तय है. यह इतना खूंखार होता है कि मात्र 30 सेकेंड के अंदर अपने शिकार को मार सकता है. यह तो बाघ की ताकत की बात हुई लेकिन इसकी कई अन्य खासियत भी है, जिसके बारे में हर कोई नहीं जानता होगा. ऐसी ही रोचक जानकारी इस खबर के माध्यम से मिलेगी. पढ़ें पूरी खबर..

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 29, 2024, 12:54 PM IST

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (ETV Bharat)

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (ETV Bharat)

पटनाःबाघ काफी खूंखार और ताकतवर जानवर माना जाता है. इसके सामने कोई भी जानवर नहीं टिक पाता है. मात्र 30 सेकेंड के अंदर अपने शिकार को मार डालता है. बाघ की ऐसी कई विशेषता है, जिसके बारे में जानना जरूरी है. 29 जुलाई को वर्ल्ड टाइगर डे मनाया जाता है. इस दिन इस लुप्तप्राय प्रजाति के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के रूप में इसे मनाया जाता है. बिहार में भी बाघ के संरक्षण के लिए वाल्मिकी टाइगर रिजर्व है, जहां काफी संख्या में बाघ रहता है.

वर्तमान में बाघों संख्या 54ः बिहार का इकलौता वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की स्थापना 1978 में अभ्यारण के तौर पर हुआ था. इसके 12वें साल 1990 में इसे टाइगर रिजर्व में शामिल कर लिया गया. टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या के बारे में बता करें तो रिपोर्ट के अनुसार 2006 में बाघों की संख्या 10 थी. 2022 तक इनकी संख्या 54 हो गई. अनुमान है कि अब इनकी संख्या 60 के पार चली जाएगी.

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (ETV Bharat GFX)

सरकार चला रही मुहिमः वर्ल्ड टाइगर डे पर ईटीवी भारत संवाददाता ने वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारी समेत वन्य जीव जंतुओं के जानकार और डीएफओ से बाघों की विशेषताओं के बारे में जाना. इसकी कई विशेषता है जो अन्य जावनर से अलग होता है. दरअसल बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है, जिसके संरक्षण और संवर्धन को लेकर सरकार बड़े पैमाने पर मुहिम चला रही है.

"बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए अधिवास समेत संरक्षण और संवर्धन का पूरा ख्याल रखना पड़ता है. वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में हाल के दिनों में टाइगर्स की संख्या में इजाफा हुआ है. 980 वर्ग किमी में फैला यह वन अधिवास के लिए बेहतर साबित हो रहा है. बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए उसके भोजन यानी शिकार का पुख्ता इंतजाम करना होता है. वीटीआर जंगल का दायरा है उसके मुताबिक कम से कम 20 व्यस्क बाघिन का होना आवश्यक है."-डॉ समीर कुमार सिन्हा, ज्वाइंट डायरेक्टर, WTI

एक बार में कितना मांग खाता है बाघः डॉक्टर समीर सिन्हा ने बताया की बाघ एक टेरीटोरियल पशु है. अपना एक निश्चित दायरे में अधिवास क्षेत्र बनाता है. यदि कोई दूसरा बाघ उसके इलाके में घुसता है तो दोनों में आपसी संघर्ष होता है. किसी एक को मरना पड़ता है या उस इलाके से भागकर अपना दूसरा टेरिटरी बनाना पड़ता है. यहीं नहीं बाघ की एक और खासियत यह होती है की वह अपना शिकार किया हुआ भोजन चार से पांच दिनों तक खाता है. एक बार में 40 से 45 किलो कच्चा मांस खा जाता है.

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (ETV Bharat GFX)

बाघ को बेंत वाले जंगल पसंदः वन्य-जीव जंतुओं के जानकार वीडी संजू बताते हैं कि बाघ को वर्ष 1973 में राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया गया. बाघ के बिना कोई भी जंगल सूना है. क्योंकि जंगल की खूबसूरती बाघों से हीं है. ये बाघ अधिकांशतः बेंत वाले जंगल में ज्यादा रहते हैं. क्योंकि बेंत की झाड़ियों में ये आसानी से छुप जाते हैं साथ हीं उन्हें ठंडक महसूस होती है.

"विश्व में बाघों की 8 प्रजातियां हैं, जिसमें से तीन विलुप्त हो गए. वीटीआर के बाघ काफी फुर्तीला होते हैं. ये अपना इलाका पेड़ों पर अपने पंजों से खुरेच कर अथवा अपना मल मूत्र त्याग कर निर्धारित करते हैं. इसके मल मूत्र से आने वाले गंध को दूसरा बाघ सूंघ लेता है और फिर इसके इलाके में घुसने की हिम्मत नहीं करता. यदि गलती से वह किसी बाघ के टेरिटरी में घुस भी जाता है तो दोनों में लड़ाई हो जाती है."-वीडी संजू, जीव जंतु विशेषज्ञ

मात्र इतने सेकेंड तक कर सकता संभोगः वीडी संजू ने बताया कि बाघ लगातार चार से पांच दिनों तक बाघिन के साथ सहवास करता है. बाघिन गर्भ धारण करने के तीन माह के बाद बच्चे को जन्म देती है. बच्चा देने के वक्त वह सुनसान इलाका खोजती है. लिहाजा वह अमूमन जंगल के बाहर वाले क्षेत्र में चली जाती है. इसके अलावा बाघ की एक और खासियत यह होती है की यह अपना संभोग महज 15 से 20 सेकंड तक हीं करता है.

30 सेकेंड में शिकार खत्मः वाल्मिकी टाइगर रिजर्व वन प्रमंडल-2 के डीएफओ अतीश कुमार बताते हैं कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए ग्रासलैंड समेत शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जा रहा है. यहां के बाघ अन्य जगह के बाघों से काफी ज्यादा फुर्तीला होते हैं. महज 30 से 35 सेकंड में अपने शिकार को मार देते हैं. आज के समय में बाघों को बचाना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इनसे पर्यावरण का पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होता है.

"टाइगर को बचाना जरूरी है. एक टाइगर को रहने के लिए करीब 25 से 30 वर्ग किमी जगह की जरूरत होती है. जब एक एक टाइगर के लिए इतने जगह बनाते हैं तो उस जंगल में कई जावनर भी आ जाते हैं जिनका संरक्षण होता है. इसके लिए एक इको सिस्टम तैयार करना होता है."-अतीश कुमार, डीएफओ, वाल्मिकी टाइगर रिजर्व वन प्रमंडल-2

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