हैदराबाद :अग्निशमन दुनिया भर में सबसे प्रमुख और आवश्यक सेवाओं में से एक है, और अग्निशामक इसके प्रमुख तत्व हैं. वे झोपड़ियों, इमारतों और कार्यस्थलों सहित अन्य जगहों पर आग से लड़ते हुए दूसरों की जान बचाने के लिए लगभग हर दिन अपनी जान जोखिम में डालते हैं. इसके अलावा, वे विशेष रूप से गर्मियों के दौरान जंगलों में लगने वाली भीषण आग से जानवरों के जीवन की रक्षा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
समाज को रहने के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने में उनके शानदार योगदान के सम्मान में दुनिया भर में लोग हर साल 4 मई को अंतरराष्ट्रीय अग्निशामक दिवस (आईएफएफडी) मनाते हैं. यह दिन उन अग्निशामकों को याद करने और सम्मान देने का अवसर प्रदान करता है, जिन्होंने अपनी जान दूसरों की रक्षा करते हुए दे दी.
वहीं भारत में 14 अप्रैल को राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस मनाया जाता है. जैसा कि सब जानते हैं, अग्रिकांड जैसे भयंकर मामलों में फायर ब्रिगेड की टीम देवदूत बनकर आती है. उन्हें चाहिए तो बस सही समय पर सूचना और सुरक्षा उपकरण उसके बाद ये दमकल की टीम अपनी जान जोखिम में डालकर भी भीषण से भीषण आग पर काबू पाने और अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा से पूरी करने के लिए तत्पर रहते हैं. हालांकि कई ऐसे मामले भी आते हैं जब उन्हें देर से सूचना मिलती है और पहुंचने में देरी होने के कारण उन्हें समाज और प्रभावितों के गुस्से का शिकार होना पड़ता है.
इस दिवस को कैसे मनाए?
अंतरराष्ट्रीय अग्निशमन दिवस मनाने के कई तरीके हैं. पहला तरीका वर्तमान और पूर्व अग्निशामकों के प्रति उनके योगदान के लिए आभार व्यक्त करना है. दूसरा तरीका है नीले और लाल रिबन पहनना और प्रदर्शित करना. ये रिबन उन मुख्य तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाले रंगों से जुड़े हुए हैं जिनके साथ अग्निशामक काम करते हैं - आग के लिए लाल और पानी के लिए नीला.
अंतरराष्ट्रीय अग्निशमन दिवस का इतिहास
अंतरराष्ट्रीय अग्निशामक दिवस 1999 में दुनिया भर के अग्निशामकों के बलिदान को सम्मान देने के लिए बनाया गया था. दरअसल, 2 दिसंबर 1998 को ऑस्ट्रेलिया के लिंटन में एक दुखद दुर्घटना घटी, जिसमें गीलॉन्ग वेस्ट फायर ब्रिगेड के पांच अग्निशमन कर्मियों की मौके पर ही मौत हो गई. अंतरराष्ट्रीय अग्निशमन दिवस की स्थापना उसी भयानक घटना से प्रेरणा लेकर की गई. पांचों अग्निशमन कर्मी अपने टैंकर में पानी भरने जा रहे थे, तभी तेज हवा के कारण ट्रक टकरा गया, जिससे वे आग की चपेट में आ गए और पांचों की मौत हो गई. उनके नाम गैरी व्रेडेवेल्ट, मैथ्यू आर्मस्ट्रांग, जेसन थॉमस, क्रिस इवांस और स्टुअर्ट डेविडसन थे.
लिंटन में हुई त्रासदी का स्थानीय समुदाय और दुनिया भर के अग्निशामकों पर गहरा प्रभाव पड़ा. इससे पीड़ितों और उनके परिवारों में दुख और समर्थन की लहर दौड़ गई. पांच अग्निशामकों को अब लिंटन कब्रिस्तान में एक सामूहिक स्मारक के हिस्से के रूप में याद किया जाता है