बेलगावी: कर्नाटका के एक बुजुर्ग दंपति ने साबित कर दिया कि आत्मनिर्भरता की कोई उम्र नहीं होती. खानपुर तालुक के शेडेगली गांव के 80 वर्षीय नागप्पा कुम्ब्रादावडकर और 75 वर्षीय उनकी पत्नी आनंदा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत काम कर रहे हैं. उनकी कहानी न केवल स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा है, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है.
रोटी कमाने में होती है खुशीः शेडेगली में निर्माण कार्य चल रहा है. नागप्पा कुदाल से मिट्टी खोदते हैं जबकि आनंदा मिट्टी को वहां से हटाती है. उनकी ऊर्जा और उत्साह कम उम्र के मजदूरों से कहीं ज़्यादा है. नागप्पा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा, "हम कड़ी मेहनत से जो कमाते हैं, उससे खाने में विश्वास रखते हैं. हम बेकार क्यों बैठें? जब तक हमारे पास ताकत है, हम काम करते रहेंगे."नगप्पा ने कहा कि दूसरों पर निर्भर हुए बिना अपनी रोटी कमाने में खुशी है.
बच्चों पर नहीं बनना चाहते बोझः नगप्पा के बच्चे भी हैं. इसके बावजूद, वे अपने बच्चों पर बोझ नहीं डालना चाहते और एक स्वतंत्र जीवन जीना चाहते हैं. एक ग्रामीण ने कहा, "उनका जज्बा हम सभी के लिए प्रेरणा है." उनकी कहानी इस योजना के तहत काम करने वाले अन्य लोगों को भी प्रभावित कर रहा है. एक अन्य श्रमिक रेखा गुरवा ने मनरेगा की पहल के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा, "अपने बुजुर्ग दादा-दादी को काम करते देखना हमें प्रेरित करता है."