इंदौर: हल्दी और चावल देकर निमंत्रण देने की परंपरा जितनी प्राचीन है उतनी ही प्रभावशाली भी है. यही वजह है कि आज भी धार्मिक आस्था और निमंत्रण के पारंपरिक तरीकों में हल्दी चावल ही अर्पित किए जाते हैं. इंदौर के श्री महालक्ष्मी मंदिर में धनतेरस और दीपावली के अवसर पर यह परंपरा आज भी निभाई जाती है. यह इकलौता मंदिर होगा जहां इस तरह दीपावली के अवसर पर माता लक्ष्मी को घर-घर में निमंत्रण देने के लिए महिलाएं हल्दी-चावल लेकर मंदिर पहुंचती हैं. वह मां के चरणों में हल्दी-चावल अर्पित कर अपनी झोली फैलाकर अपने घर पधारने की प्रार्थना करती हैं.
होलकर राजवंश में हुई थी स्थापना
इंदौर शहर में स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर की स्थापना होलकर राजवंश द्वारा करीब 200 साल पहले की गई थी. इसके बाद सन 2015 में इस मंदिर का जीणोद्धार महारानी उषा राजे द्वारा कराया गया था. मंदिर में माता लक्ष्मी की भव्य प्रतिमा है जो काफी सिद्ध मानी जाती है. मान्यता है कि इस मंदिर में पहुंचकर यदि महालक्ष्मी की आराधना की जाए तो धन-धान्य कभी कम नहीं पड़ता. इंदौर का महालक्ष्मी मंदिर इसलिए भी होलकर राजपरिवार की आस्था का केंद्र रहा है.
हल्दी चावल से मां लक्ष्मी को दिया जाता है निमंत्रण
दीपावली और खासकर धनतेरस के अवसर पर यहां न केवल सर्राफा व्यवसायी बल्कि स्थानीय महिलाएं भी माता लक्ष्मी को अपने घर आमंत्रित करने के लिए हल्दी चावल को माता के चरणों में अर्पित करती हैं. वे माता से अपने घर चलने की प्रार्थना करती हैं. यहां एक नियत स्थान पर किसी शादी समारोह के इनविटेशन कार्ड की तरह ही हल्दी चावल अर्पित किए जाते हैं. इसके बाद पूजा पाठ कर माता लक्ष्मी से दीपावली पर उनके घर पधारने की प्रार्थना की जाती है. कई महिलाएं यहां अपनी-अपनी मनोकामनाओं के लिए झोली फैलाकर प्रार्थना करती हैं, तो कई माता लक्ष्मी के प्रिय गुलाबी कमल के साथ यहां पहुंचती हैं और उन पर सदैव लक्ष्मी की कृपा की कामना करती हैं.