नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को वैश्विक स्तर पर भारतीय कौशल और प्रतिभा की बढ़ती भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि दुनिया के विकसित देश अब भारत के साथ गतिशीलता समझौते करने में रुचि दिखा रहे हैं. ज्ञान अर्थव्यवस्था (knowledge economy) के इस युग में भारतीय कौशल और प्रतिभा की भूमिका का भी पुनर्मूल्यांकन किया जा रहा है. तकनीकी उन्नति ही अधिक मांग पैदा कर रही है.
विदेश मंत्री ने नई दिल्ली में सीआईआई वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन 2024 में बोलते हुए कहा, 'विकसित देशों में जनसांख्यिकी की कमी की वास्तविकता भी है. ये रुझान अभी दुनिया भर में भारत के साथ गतिशीलता समझौते करने की रुचि के रूप में प्रकट हो रहे हैं.' अपनी ओर से हम भी यह देखना चाहेंगे कि हमारी प्रतिभा के साथ निष्पक्ष और पारदर्शी व्यवहार किया जाए.
जैसे-जैसे वैश्विक कार्यस्थल उभर रहा है और मेरा विश्वास करें, यह हम सभी की अपेक्षा से कहीं अधिक तेजी से बढ़ेगा. जैसे-जैसे वैश्विक कार्यस्थल उभर रहा है - इसके कुछ तात्कालिक परिणाम हैं. घरेलू स्तर पर कौशल विकास के पैमाने और गुणवत्ता का विस्तार करना और भी अधिक आवश्यक हो जाता है. यह मोदी सरकार की सोच के बिल्कुल अनुरूप है.
उन्होंने कहा, 'नवाचार और स्टार्ट-अप संस्कृति के प्रसार से भी उन्हें मदद मिलती है. व्यवसायों को भी हमारे मानव संसाधनों के उन्नयन में अपना उचित योगदान देने की आवश्यकता है. विदेश में भी भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के दायित्व पर जोर देते हुए विदेश मंत्री ने यूक्रेन और सूडान से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए भारत द्वारा किए गए सफल अभियानों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि उनका लक्ष्य भारत को नवाचार, अनुसंधान और डिजाइन के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है.