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अमेरिका से निर्वासितों का दावा, 'हथकड़ियां और बेड़ियां लगाकर लाए गए, सुनाई आपबीती - DEPORTEES NARRATE ORDEAL

अमेरिका से निर्वासित लोगों ने बड़े चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. इनकी आपबीती रौंगटे खड़े कर देने वाले हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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पंजाब के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने अमेरिका से लागए अप्रवासियों से मुलाकात की (IANS)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 6, 2025, 12:26 PM IST

चंडीगढ़: अमेरिका में इलीगल इमिग्रेशन के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया है. इसी के तहत अवैध रूप से अमेरिका पहुंचे भारतीयों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई. अमेरिकी सैन्य विमान से बुधवार को 104 भारतीयों को पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर पहुंचाया गया. निर्वासित किए गए भारतीयों ने अमेरिका जाने को लेकर एजेंटो की जालसाजी के चौंकाने वाले खुलासे किए. उन्होंने बताया कि एजेंट किस तरह से उनके साथ धोखा किया. फिर वे लोग किन कठिनाइयों का सामना कर अमेरिका पहुंचे.

अमेरिका से निर्वासित किए गए लोगो को कथित रूप से हथकड़ियां और बेड़ियां लगाने का मुद्दा गरमा गया है. विपक्षी दलों के नेताओं ने इसे अमानवीय बताते हुए सरकार से जवाब मांग है. कहा जा रहा है विदेश मंत्री एस जयशंकर इस पर जवाब देंगे.

अमेरिकी विमान से लाए गए 104 निर्वासितों में शामिल जसपाल सिंह ने दावा किया कि पूरी यात्रा के दौरान उनके हाथ-पैरों में हथकड़ी लगी रही और अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद ही उनकी बेड़ियां खोली गई. गुरदासपुर जिले के हरदोरवाल गांव के रहने वाले 36 वर्षीय सिंह ने बताया कि उन्हें 24 जनवरी को अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने पकड़ लिया था.

विभिन्न राज्यों से 104 अवैध अप्रवासियों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार को यहां उतरा. अवैध अप्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा वापस भेजा गया यह भारतीयों का पहला जत्था था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 33लोग हरियाणा, 33 गुजरात, 30 पंजाब, तीन लोग महाराष्ट्र और तीन उत्तर प्रदेश और दो लोग चंडीगढ़ से थे.

उन्होंने बताया कि निर्वासित लोगों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग शामिल थे. इनमें एक चार वर्षीय लड़का और पांच व सात वर्ष की दो लड़कियां शामिल थी. पंजाब से निर्वासित लोगों को अमृतसर हवाई अड्डे से पुलिस वाहनों में उनके मूल स्थानों पर ले जाया गया. अपने गृह नगर पहुंचने के बाद बुधवार रात जसपाल ने कहा कि उन्हें एक ट्रैवल एजेंट ने धोखा दिया है, क्योंकि उनसे वादा किया गया था कि उन्हें कानूनी तरीके से अमेरिका भेजा जाएगा. जसपाल ने कहा, मैंने एजेंट से उचित वीजा के जरिए मुझे भेजने के लिए कहा था लेकिन उसने मुझे धोखा दिया. उन्होंने कहा कि सौदा 30 लाख रुपये में तय हुआ था.

जसपाल ने दावा किया कि वह पिछले साल जुलाई में हवाई जहाज से ब्राजील पहुंचा था. उसने कहा कि उससे वादा किया गया था कि अमेरिका की यात्रा का अगला चरण भी हवाई जहाज से ही होगा. हालांकि, उसके एजेंट ने उसे 'धोखा' दिया, जिसने उसे अवैध रूप से सीमा पार करने के लिए मजबूर किया. ब्राजील में छह महीने रहने के बाद वह सीमा पार करके अमेरिका चला गया लेकिन उसे अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने गिरफ्तार कर लिया. उसे वहां 11 दिनों तक हिरासत में रखा गया. कहा गया वापस घर भेज दिया गया. जसपाल ने कहा कि उसे नहीं पता था कि उसे भारत भेजा जा रहा है.

उन्होंने कहा, 'हमें लगा कि हमें दूसरे शिविर में ले जाया जा रहा है. फिर एक पुलिस अधिकारी ने हमें बताया कि उन्हें भारत ले जाया जा रहा है. हमें हथकड़ी लगाई गई और हमारे पैरों में जंजीरें बंधी थी. इन्हें अमृतसर हवाई अड्डे पर खोला गया.

जसपाल ने कहा कि निर्वासन से वह टूट गया था. बहुत बड़ी रकम खर्च की गई. पैसे उधार लिए गए थे. इससे पहले जसपाल के चचेरे भाई जसबीर सिंह ने कहा, 'हमें बुधवार सुबह मीडिया के माध्यम से उनके निर्वासन के बारे में पता चला.'

निर्वासन के बारे में उन्होंने कहा, 'ये सरकारों के मुद्दे हैं. जब हम काम के लिए विदेश जाते हैं, तो हमारे मन में अपने परिवारों के बेहतर भविष्य के लिए बड़े सपने होते हैं. वे अब टूट चुके हैं. होशियारपुर में बुधवार रात को अपने गृह नगर पहुंचे दो और निर्वासितों ने भी अमेरिका पहुंचने के लिए अपने साथ हुई परेशानियों को साझा किया. होशियारपुर के टाहली गांव के रहने वाले हरविंदर सिंह ने कहा कि वह पिछले साल अगस्त में अमेरिका चले गए थे. उन्हें कतर, ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, पनामा, निकारागुआ और फिर मैक्सिको ले जाया गया. उन्होंने कहा कि मैक्सिको से उन्हें और अन्य लोगों को अमेरिका ले जाया गया.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'हमने पहाड़ियां पार की. एक नाव, जो उन्हें अन्य व्यक्तियों के साथ ले जा रही थी, समुद्र में पलटने वाली थी, लेकिन हम बच गए. उन्होंने कहा कि वे पनामा के जंगल में एक व्यक्ति को मरते हुए और एक को समुद्र में डूबते हुए देखा. सिंह ने कहा कि उनके ट्रैवल एजेंट ने उनसे वादा किया था कि उन्हें पहले यूरोप और फिर मैक्सिको ले जाया जाएगा. उन्होंने कहा कि वे अमेरिका की अपनी यात्रा के लिए 42 लाख रुपये खर्च किए.

उन्होंने कहा, 'कभी-कभी हमें चावल मिलते थे. कभी-कभी, हमें खाने के लिए कुछ नहीं मिलता था. हमें बिस्कुट मिलते थे. पंजाब से निर्वासित एक अन्य व्यक्ति ने अमेरिका जाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले 'डंकी रूट' के बारे में बताया. उन्होंने कहा, 'रास्ते में हमारे 30,000-35,000 रुपये के कपड़े चोरी हो गए. निर्वासित व्यक्ति ने कहा कि उन्हें पहले इटली और फिर लैटिन अमेरिका ले जाया गया.

इससे पहले दिन में अमेरिकी वायुसेना का सी-17 ग्लोबमास्टर विमान अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा. अमेरिका की यह कार्रवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्यापक वार्ता के लिए वाशिंगटन यात्रा से कुछ दिन पहले हुई. पंजाब पुलिस और विभिन्न राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों सहित विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा हवाई अड्डे के टर्मिनल भवन के अंदर निर्वासित लोगों से पूछताछ की गई ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड तो नहीं है.

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