नई दिल्ली:आसियान क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवनिर्वाचित पीएम लॉरेंस वोंग के निमंत्रण पर 4-5 सितंबर को सिंगापुर का दौरा करेंगे, ताकि दक्षिण पूर्व एशिया के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया जा सके और क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाई जा सके.
चीन के बढ़ते प्रभाव और नई व्यवस्था के बाद भारत और सिंगापुर के बीच संबंध कैसे आगे बढ़ रहे हैं. ईटीवी भारत के इस सवाल पर विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्वी) जयदीप मजूमदार ने कहा कि किसी भी देश के साथ हमारे संबंध स्वतंत्र हैं. भारत और सिंगापुर के संबंध पिछले 10-15 वर्षों में मजबूत हुए हैं और आज भी आगे बढ़ रहे हैं, क्योंकि हम अब द्विपक्षीय सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करने के अगले स्तर पर पहुंच गए हैं, चाहे वह खाद्य सुरक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, सेमीकंडक्टर हों, जहां दोनों देशों के बीच बहुत अच्छा परस्पर सहयोग है.
उन्होंने आगे कहा कि हमारा संबंध नए चरण की ओर बढ़ रहे हैं और दोनों देशों से जुड़ी स्थितियां इसे आगे ले जा रही हैं. सिंगापुर के लिए भारत जबरदस्त अवसर पेश करता है और भारत के लिए सिंगापुर कई विकल्प प्रदान करता है, चाहे वह वैल्यू चेन हो, डिजिटल तकनीक हो या सेमीकंडक्टर.
पिछले कुछ दशकों में आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ) में चीन का प्रभाव काफी बढ़ गया है. चीन आसियान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनकर उभरा है. चीन और आसियान के बीच व्यापार में काफी वृद्धि हुई है, दोनों पक्षों ने करीबी आर्थिक साझेदारी विकसित है. 2020 में, चीन और आसियान पहली बार सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार बने थे.
चीन आसियान देशों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का प्रमुख स्रोत है. चीन ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के जरिये इन दोनों में बुनियादी ढांचे, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश किया है. कई आसियान देश चीन की बीआरआई योजना में शामिल हैं, जिसका उद्देश्य बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से संपर्क और सहयोग को बढ़ाना है. इस योजना ने पूरे क्षेत्र में बंदरगाहों, रेलवे और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में चीनी निवेश को बढ़ावा दिया है, जो भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है. इसके अलावा दक्षिण चीन सागर में चीन के मुखर दावों और कार्रवाइयों ने आसियान के भीतर कूटनीतिक चुनौतियों को जन्म दिया है.
प्रधानमंत्री मोदी छह साल बाद सिंगापुर की यात्रा पर जाएंगे. उनकी यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब सिंगापुर में नए प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने अभी-अभी पदभार संभाला है और यह दोनों देशों के जीवंत द्विपक्षीय संबंधों के अगले चरण के लिए मंच तैयार करने का उपयुक्त समय है.
दोनों देशों के बीच गतिशील रणनीतिक साझेदारी
नई दिल्ली सोमवार को विशेष मीडिया ब्रीफिंग के दौरान जयदीप मजूमदार ने कहा कि हमारे संबंध विकसित हुए हैं और दोनों देशों के पास हमारे साझा इतिहास और लोगों के बीच संबंधों से लेकर विविध क्षेत्रों को शामिल करते हुए गतिशील रणनीतिक साझेदारी है, जो भारत-सिंगापुर के बीच महत्वपूर्ण कड़ी है. हमारे व्यापार और निवेश प्रवाह में लगातार वृद्धि देखी गई है. हमारे बीच मजबूत रक्षा सहयोग, संस्कृति और शिक्षा में बढ़ते आदान-प्रदान हैं और हमने भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज ढांचे के तहत अपनी साझेदारी के नए आधारों की पहचान की है. पीएम मोदी की यह यात्रा हमारे राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ के मद्देनजर भी होगी, जिसे हम 2025 में मना रहे हैं और सिंगापुर के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी का 10वां वर्ष है.