डिब्रूगढ़: ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर किसी परिचय का मोहताज नहीं है. हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार भगवान की पूजा करने वाला हर व्यक्ति अपने जीवन में कम से कम एक बार इस मंदिर में जाने का सपना संजोता है. हालांकि कुछ बाधाओं और परिस्थितियों के कारण पुरी जगन्नाथ मंदिर में दर्शन का सपना पूरा नहीं होता है. भगवान जगन्नाथ के निवास तक भक्तों की पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए देश के अन्य हिस्सों में भी इस प्राचीन मंदिर की नकल करते हुए कई अन्य मंदिर बनाए गए हैं.
ऐसा ही एक मंदिर असम के डिब्रूगढ़ में है, जो आपको कुछ हद तक पुरी के प्रतिष्ठित मंदिर के दर्शन करने जैसा अहसास कराता है. अगर भक्त भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए किसी वजह से पुरी नहीं जा सकते हैं तो डिब्रूगढ़ आएं. डिब्रूगढ़ शहर के बाहरी इलाके खानिकर में बने विशाल जगन्नाथ मंदिर में नए साल की छुट्टियों के दौरान भक्तों की भीड़ बढ़ रही है. आसपास के अन्य राज्यों से भी लोग मंदिर में पूजा करने और नए साल की शुरुआत के लिए आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं.
डिब्रूगढ़ का जगन्नाथ मंदिर (ETV Bharat) भगवान जगन्नाथ का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर
बहुत से लोग यह नहीं जानते होंगे कि यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा भगवान जगन्नाथ मंदिर है, जिसे असम के पूर्व राज्यपाल दिवंगत जानकी बल्लभ पटनायक की पहल पर बनाया गया था. जगन्नाथ मंदिर का निर्माण जानकी पटनायक के संरक्षण में हुआ था, जो तत्कालीन यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल में 2009 से 2014 तक असम के राज्यपाल रहे.
डिब्रूगढ़ का जगन्नाथ मंदिर (ETV Bharat) डिब्रूगढ़-तिनसुकिया बाईपास पर खानिकर में बना 85 फीट ऊंचा मंदिर पुरी में स्थित प्रचीन जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर बना दूसरा सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है. जानकी बल्लभ पटनायक ने 6 दिसंबर, 2014 को इसका उद्घाटन किया था और अब इस मंदिर में हर दिन हजारों भक्त पूजा करते हैं.
कैसे अस्तित्व में आया मंदिर
दिवंगत जानकी बल्लभ पटनायक पूरी तरह आध्यात्मिक व्यक्ति थे. पुरी शहर में जन्मे पटनायक भगवान जगन्नाथ के परम भक्त थे. उनकी पुरी मंदिर में गहरी आस्था थी और वह इसे पूजा का एक पवित्र स्थान मानते थे. एक बार असम के राज्यपाल के रूप में डिब्रूगढ़ की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने डिब्रूगढ़ से सटे एक छोटे से इलाके लाहोवाल में एक छोटे आकार का जगन्नाथ मंदिर देखा. मंदिर को देखकर राज्यपाल को एहसास हुआ कि डिब्रूगढ़ के लोगों में भगवान जगन्नाथ की पूजा करने की संस्कृति है.
डिब्रूगढ़ का जगन्नाथ मंदिर (ETV Bharat) भगवान जगन्नाथ के प्रति लोगों की भक्ति को देखने के बाद ही उन्होंने यहां के लोगों के लिए डिब्रूगढ़ में एक बड़ा जगन्नाथ मंदिर बनाने का मन बनाया. पटनायक ने तत्कालीन डिब्रूगढ़ के सांसद, राज्य के मंत्रियों और विधायकों के परामर्श से मंदिर बनाने का फैसला किया.
दो साल में पूरा हुआ मंदिर का निर्माण कार्य
इस मंदिर के निर्माण के बारे में मंदिर के एक सेवादार ने बताया, "मंदिर का निर्माण वर्ष 2012 में शुरू हुआ था, जिसका डिजाइन पुरी के जगन्नाथ मंदिर पर आधारित था. डिब्रूगढ़-तिनसुकिया बाईपास रोड पर बने इस मंदिर के निर्माण में दो साल लगे थे. असम के तत्कालीन राज्यपाल ने डिब्रूगढ़ के तत्कालीन सांसद और केंद्रीय मंत्री पवन सिंह घाटोवार और लाहोवाल के विधायक और तत्कालीन राज्य के राजस्व मंत्री पृथ्वी माझी से पहल करने की अपील की थी."
डिब्रूगढ़ का जगन्नाथ मंदिर (ETV Bharat) उन्होंने कहा, "जगन्नाथ मंदिर के निर्माण के लिए जालान टी एस्टेट की तरफ से पांच बीघा जमीन दान किए जाने के बाद 2012 में श्री श्री जगन्नाथ सांस्कृतिक ट्रस्ट का गठन कर निर्माण कार्य शुरू किया गया था. ओडिशा के 40 और असम के 60 कारीगरों ने दो साल में जगन्नाथ मंदिर को पूरा करने के लिए दिन-रात काम किया."
मंदिर के मुख्य आकर्षण
उन्होंने आगे कहा, "डिब्रूगढ़ के जगन्नाथ मंदिर में 2014 में तिरुपति बालाजी मंदिर के पुजारियों की उपस्थिति में प्राण-प्रतिष्ठा की गई थी. जगन्नाथ मंदिर के अलावा परिसर में बलभद्र, सुभद्रा, शिव, गणेश, हनुमान और दुर्गा के मंदिर भी हैं. इन मंदिरों में प्रतिदिन नियमित पूजा होती है." उन्होंने बताया कि मंदिर के चारों ओर की दीवारों पर कृष्ण लीला के दृश्य मूर्तिकला के रूप में प्रदर्शित हैं. मंदिर पर अंकित ये कलात्मक स्पर्श भक्तों के साथ-साथ पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं.
डिब्रूगढ़ का जगन्नाथ मंदिर (ETV Bharat) देश-विदेश से दर्शन के लिए आते हैं पर्यटक
देश-विदेश से हर दिन पर्यटक मंदिर में आते हैं और छुट्टियों के दौरान यह संख्या बढ़ जाती है. मंदिर की वास्तुकला और हरे-भरे परिवेश के कारण पर्यटक अधिक आकर्षित होते हैं. अधिकारियों ने कहा कि भक्त रथ यात्रा, नए साल और हर साल होने वाले त्योहारों के दौरान मंदिर में उमड़ते हैं.
डिब्रूगढ़ का जगन्नाथ मंदिर (ETV Bharat) 10.70 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित जगन्नाथ मंदिर का प्रबंधन श्री श्री जगन्नाथ सांस्कृतिक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है. पूजा की व्यवस्था करने के लिए पांच पुजारी और कई सेवादार मौजूद रहते हैं ताकि भक्तों को कोई परेशानी न हो. मंदिर ने आसपास के क्षेत्रों में व्यापारिक उपक्रमों और बाजारों के लिए भी द्वार खोल दिए हैं. जगन्नाथ मंदिर के पास बाजार बन गया है. नतीजतन, डिब्रूगढ़ में जगन्नाथ मंदिर समय के साथ कई लोगों के लिए व्यापार का केंद्र बन गया है.
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