नई दिल्ली: भू राजनीतिक (जियो पॉलिटिकल) अनिश्चितता के बीच, भारत शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भाग लेने के लिए पूरी तरह तैयार है. विदेश मंत्रालय के सचिव (आर्थिक संबंध-Economic Relations) दम्मू रवि 20-21 मई को कजाकिस्तान के अस्ताना का दौरा करेंगे. वे 21 मई को एससीओ विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे. बैठक में एससीओ परिषद के राष्ट्राध्यक्षों के आगामी शिखर सम्मेलन की तैयारियों, एससीओ में चल रहे सहयोग पर चर्चा की जाएगी, बैठक में क्षेत्रीय और वैश्विक विकास से जुड़े सामान्य चिंताओं पर विचारों का आदान-प्रदान किया जाएगा.
दम्मू रवि भारत का प्रतिनिधत्व करेंगे
यात्रा के दौरान, विदेश मंत्रालय के सचिव (Economic Relations) द्वारा एससीओ सदस्य देशों के अपने समकक्षों और कजाकिस्तान सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकें करने की भी उम्मीद है. विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान, प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय एजेंडा, सुरक्षा मुद्दों और एससीओ के भीतर राजनीतिक, व्यापार, आर्थिक, सांस्कृतिक और मानवीय सहयोग के विकास पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे. बैठक में भाग लेने वाले आगामी एससीओ शिखर सम्मेलन के अंतिम दस्तावेजों के संबंध में कई प्रस्तावों पर भी हस्ताक्षर करेंगे.
भारत और पाकिस्तान एक मंच हो सकते हैं आमने-सामने
इस बीच, पाकिस्तान के उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार सोमवार को कजाकिस्तान के अस्ताना शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की दो दिवसीय विदेश मंत्री परिषद की बैठक में भाग लेंगे, जहां उनके समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की उम्मीद है.
भारत के लिए SCO का महत्व
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत की भूमिका 2017 में पूर्ण सदस्य बनने के बाद से काफी विकसित हुई है. बता दें कि, एससीओ 2001 में स्थापित एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है. इसमें मूल रूप से रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान शामिल थे. उज़्बेकिस्तान, और बाद में भारत और पाकिस्तान को शामिल करने के लिए इसका विस्तार किया गया. एससीओ में भारत की भागीदारी ने उसे आतंकवाद विरोधी, क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक सहयोग सहित आपसी हित के मुद्दों पर मध्य एशियाई देशों और रूस के साथ अधिक निकटता से जुड़ने के लिए एक मंच प्रदान किया है.