नई दिल्ली: देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी पड़ रही है. वहीं दक्षिण के कई राज्यों में बारिश से लोगों को राहत मिली है. हालांकि, केरल में भारी बारिश से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि, आने वाले दिनों में मौसम कैसा रहने वाला है. इस विषय पर भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि, 16 मई से उत्तर-पश्चिम भारत में लू की स्थिति बनी हुई है और संभावना है कि, अगले दो दिनों तक लोगों को इससे राहत नहीं मिलने वाली है. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में आगे बताया कि, 30 मई से, उत्तर पश्चिम में गर्मी की लहर की तीव्रता कम हो जाएगी. हालांकि, अगले कुछ दिनों तक लू की स्थिति जस की तस रहेगी.
डॉ. मृत्युंजय महापात्रा (IMD महानिदेशक) से खास बातचीत (ETV Bharat) ईटीवी भारत से बात करते हुए, आईएमडी के महानिदेशक ने कहा कि 'जून के महीने के लिए, हम उम्मीद कर रहे हैं कि उत्तर-पश्चिम भारत में पहले 4 से 7 दिनों तक लू चल सकती है. लेकिन कुल मिलाकर उत्तर में जून में लू के दिनों की संख्या- पिछले वर्षों की तुलना में पश्चिम से थोड़ा अधिक हो सकता है.' वहीं, मानसून के संबंध में डॉ महापात्रा ने इस साल जून से सितंबर तक मानसून के मौसम के दौरान पूरे देश में सामान्य से अधिक वर्षा होने की भविष्यवाणी की. उन्होंने यह भी कहा कि, 'पूरे देश में दक्षिण पश्चिम मॉनसून वर्षा 4 फीसदी की मॉडल त्रुटि के साथ लंबी अवधि के औसत का 106 फीसदी होने की संभावना है. इस प्रकार, पूरे देश में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है.'
उन्होंने आगे कहा कि उत्तर-पश्चिम, मध्य और प्रायद्वीपीय क्षेत्र में सामान्य से अधिक वर्षा होगी जबकि उत्तर-पूर्व भारत में सामान्य से कम वर्षा होगी. डॉ महापात्रा ने आगे बताया कि, 'हमारी भविष्यवाणी के अनुसार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड, जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मानसून के मौसम के दौरान सामान्य से कम बारिश होगी.'
जब उनसे जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में देखे गए सबसे अधिक दिखाई देने वाले परिवर्तनों पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया, तो उन्होंने जवाब दिया कि 'जलवायु परिवर्तन एक सतत घटना है. जिसकी वजह से, तापमान में वृद्धि होती है जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती है. भारत में भी हमने सतह के तापमान में वृद्धि देखी है और इसके परिणामस्वरूप, कुछ चरम मौसम प्रभावों में वृद्धि हुई है, जिसमें लू के दिनों में वृद्धि या भारी वर्षा में वृद्धि शामिल है. जबकि मध्यम वर्षा में कमी आई है देश में वर्षा की कुल मात्रा समान रही है.' उन्होंने कहा कि, 'इस जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए, आईएमडी रडार, विभिन्न सेंसर आदि सहित अवलोकन प्रणाली को बढ़ाया गया है. साथ ही, हमने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में मॉडलिंग प्रणाली को बढ़ाया है, जिसके परिणामस्वरूप, आईएमडी सक्षम हो गया है किसी भी जलवायु गतिविधि का पता लगाएं.'
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