बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने चर्च के पादरी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज आरोप पत्र को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि मानव मन बहुत रहस्यमय है और मन के रहस्य को उजागर करना असंभव है. यह आदेश न्यायमूर्ति एम नागाप्रसन्ना की एकल सदस्यीय पीठ ने दिया है, जो उडुपी के डेविड डिसूजा के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मृतक पादरी के मामले के आरोपी पत्नी से संबंध थे. जब यह मामला संज्ञान में आया तो उस ने फांसी लगा ली. कोर्ट ने कहा कि यह आत्महत्या को प्रोत्साहित नहीं करता. रिपोर्ट के अनुसार पादरी ने 11 अक्टूबर 2019 को आत्महत्या कर ली थी. हालांकि, मामले में 26 फरवरी 2020 को एफआईआर दर्ज की गई थी. शिकायत में कहा गया है कि पादरी महेश डिसूजा ने आत्महत्या करने से पहले आरोपी डेविड डिसूजा से फोन पर बातचीत की थी.
मामले को रद्द करने का आदेश
कोर्ट ने कहा कि पादरी की आत्महत्या करने के कई कारण हो सकते हैं. उनमें से एक चर्च के पादरी के तौर पर किसी महिला के साथ अफेयर हो सकता है. मानव मन बहुत रहस्यमय है. उसके मन के रहस्य को उजागर करना असंभव है. पीठ ने कहा कि आगे की कार्यवाही की अनुमति देना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा. इसके साथ ही अदालत ने मामले को रद्द करने का आदेश दिया.
क्या है मामला?
उडुपी जिले के शिरवा चर्च के सहायक पादरी और शिरवा डॉन बॉस्को इंग्लिश मीडियम स्कूल के प्रधानाध्यापक फादर महेश डिसूजा ने 11 अक्टूबर 2019 की रात को अपने कमरे के छत के पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी.
इस संबंध में दर्ज मामले की जांच के दौरान पता चला कि आत्महत्या करने से कुछ देर पहले मृतक के मोबाइल नंबर पर डेविड डिसूजा ने तीन बार कॉल की थी. इस दौरान याचिकाकर्ता और मृतक के बीच कोंकणी भाषा में बातचीत हुई और डेविड ने पुजारी को डांटा. उन्होंने कहा, 'तुम मेरी पत्नी को क्या मैसेज कर रहे हो, मैं चर्च में आऊंगा और तुम्हारा पिटाई करूंगा और उसे (अपनी पत्नी) भी मार डालूंगा. मैं तुम्हारे इस रिश्ते के बारे में खुलासा करूंगा. 'आत्महत्या कर लो, वह भी आत्महत्या कर लेगी.'
इसके बाद पुजारी महेश ने स्कूल जाकर आत्महत्या कर ली. पोस्टमॉर्टम से पता चला कि डेविड से कॉल पर बातचीत होने के 30 मिनट के भीतर ही आरोपी की मौत हो गई. इस संबंध में पुलिस ने आरोपी पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मामला दर्ज कर जांच की और 9 सितंबर 2021 को आरोप पत्र दाखिल किया. इस बाद आरोपी ने इसे चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
कोर्ट में क्या हुआ?
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील को ने कहा कि महेश को जैसे ही पता चला कि मृतक पादरी का उसकी पत्नी के साथ अवैध संबंध है, उसने तुरंत पुजारी को कॉल की और इस मुद्दे पर चर्चा की. इस दौरान उन्होंने फांसी लगा लेने की बात भी कही. यह आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं है. हालांकि, पादरी ने आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसे डर था कि किसी तीसरे पक्ष (किसी और) को उसके अवैध संबंध के बारे में पता चल जाएगा. इसलिए याचिकाकर्ता पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप नहीं लगाया जा सकता. ऐसे में इस मामले को रद्द कर दिया जाना चाहिए.
सरकार की ओर से बहस करने वाले वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पादरी को बुलाया और उससे उसकी पत्नी के साथ अवैध संबंध के बारे में सवाल किया और उसे गंभीर रूप से प्रताड़ित किया. उन्होंने इस मामले का खुलासा करने की धमकी भी दी. पुजारी ने भी इसी वजह से की आत्महत्या कर ली.
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