नई दिल्ली: हर रोज हमारे दिन की शुरुआत टूथपेस्ट से दांत साफ करने से होती है.सुबह उठने के बाद हम लोग जो काम सबसे पहले करते हैं, वो है टूथपेस्ट से दांतों की सफाई. यही वजह है कि टूथपेस्ट हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में एक अहम हिस्सा बन गया है. टूथपेस्ट में कई तरह के केमिकल्स का इस्तेमाल होता है. ये केमिकल्स हमारे दातों की देखभाल करते हैं.
टूथपेस्ट में ऐब्रसिव्स, फ्लोराइड्स, डिटर्जेंट्स और ह्यूमेक्टेंट्स जैसे केमिकल्स का यूज होता है, जो हमारे दांतों से प्लाक को हटाने में मदद करते हैं. टूथपेस्ट में यूज होने वाला फ्लोराइड दांतों के इनेमल को मजबूत बनाता है और कैविटी भी रोकता है. वहीं, डिटर्जेंट टूथपेस्ट में झाग बनाने का काम करता है. ऐब्रसिव्स और ह्यूमेक्टेंट्स प्लाक को हटाने में मदद करते हैं.
इतना ही नहीं आज कल कई टूथपेस्ट में फ्लेवरिंग एजेंट, एंटीबैक्टीरियल एजेंट, और नेच्युरल एलिमेंट भी मिलाए जाते हैं, जो दांतों को साफ करने में मदद करते हैं. हालांकि, कुछ घटनाओं के सामने आने के बाद इस बात पर बहस छिड़ गई कि क्या टूथपेस्ट में नॉनवेज मैटेरियल भी मिलाया जाता है?
डेंन्टिस्ट की मानें तो दांतों को कैविटी से बचाने के लिए किसी नॉनवेज इंग्रीडिएंट की जरूरत नहीं होती है. टूथपेस्ट में मिलने वाले फ्लोराइड, ऐब्रसिव्स केमिकल्स और ह्यूमेक्टेंट्स (जैसे ग्लिसरीन) जैसे इंग्रीडिएंट्स ही काफी होते है. हालांकि, टूथपेस्ट में नॉनवेज इंग्रीडिएंट हैं या नहीं इसे चेक करने का कोई तरीका मौजूद नहीं है. हालांकि, थोड़ी सावधानी बरत कर आप पता कर सकते हैं कि आपके टूथपेस्ट में नॉन वेज इनग्रेडिएंट तो नहीं है.
कैसे चेक करें वेज और नॉनवेज टूथपेस्ट
बता दें कि भारत में कंज्यूमर के लिए यह जानना अहम है कि वे जो टूथपेस्ट इस्तेमाल कर रहे हैं, वह वेजिटेरियन है या नॉनवेजिटेरियन. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने इसको लेकर कुछ स्पष्ट नियम और दिशा-निर्देश बनाए हैं, जिससे उपभोक्ताओं को यह जानकारी मिलती है कि वह जो प्रोडक्ट यूज कर रहे हैं, वह वेज है या नॉनवेज.