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AC कोच में मिलने वाला कंबल कितने दिन बाद धुला जाता है, रेलवे का जवाब जानकर कभी इस्तेमाल नहीं करेंगे - INDIAN RAILWAYS

आरटीआई के जवाब में रेलवे ने बताया है कि ट्रेन का कंबल एक बार धुलने के बाद कितने दिनों तक इस्तेमाल किया जाता है.

How often does Indian Railways wash blankets provided to passengers in AC coach
भारतीय रेलवे (Getty Images)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 21, 2024, 7:55 PM IST

हैदराबाद: भारत में अब अधिकांश लोग ट्रेन के एसी कोच में सफर करते हैं. एसी कोच में यात्रियों को सफेद बेड सीट के साथ रात में ओढ़ने के लिए ऊनी कंबल भी रेलवे की तरफ से उपलब्ध कराया जाता है. रलवे हर यात्रा के बाद बेड सीट को धुलवाता है और फिर इन्हें यात्रियों को दिया जाता है. लेकिन ऊनी कंबल को लेकर ऐसा नहीं है कि हर बार यह साफ-सुथरा मिले.

यात्रियों को इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि एक बार धुलने के बाद ऊनी कंबल को कितने दिनों तक इस्तेमाल किया जाता है. एक आरटीआई के जवाब में रेल मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है कि ऊनी कंबल महीने में कितनी बार धुला जाता है.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस (TNIE) की रिपोर्ट के मुताबिक, RTI के जवाब में रेल मंत्रालय ने कहा है कि यात्रियों को दिए जाने वाले लिनन (सफेद बेड सीट) को हर बार इस्तेमाल के बाद धोया जाता है, लेकिन ऊनी कंबलों को महीने में कम से कम एक बार धुला जाता है और प्राथमिकता रहती है कि महीने में दो बार धोया जाना चाहिए. हालांकि, यह उपलब्धता और लॉजिस्टिक व्यवस्था पर निर्भर करता है.

रिपोर्ट में लंबी दूरी की ट्रेनों के हाउसकीपिंग स्टाफ से बातचीत के आधार पर कहा गया है कि कंबलों को महीने में सिर्फ एक बार धोया जाता है. कंबलों को केवल तभी एक से अधिक बार धोया जाता है, जब उन पर दाग लग जाते हैं या बदबू आती है.

क्या कंबल, चादर और तकिए के लिए शुल्क लिया जाता है?
क्या भारतीय रेलवे यात्रियों से कंबल, चादर और तकिए के कवर के लिए शुल्क लेता है, रेलवे ने RTI के जवाब में कहा, "यह सब ट्रेन के किराए के पैकेज का हिस्सा है. इसके अलावा, गरीब रथ और दुरंतो जैसी ट्रेनों में टिकट बुक करते समय बेडरोल का विकल्प चुनने के बाद प्रत्येक किट के लिए अतिरिक्त राशि का भुगतान करके बेडरोल (तकिया, चादरें, आदि) प्राप्त किया जा सकता है.

रेलवे के पास 46 विभागीय लॉन्ड्री और 25 बूट लॉन्ड्री
आरटीआई के तहत मिलनी जानकारी के अनुसार, भारतीय रेलवे के पास देश भर में 46 विभागीय लॉन्ड्री और 25 बूट लॉन्ड्री हैं. हालांकि, इसमें अनुबंध के आधार पर कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं. विभागीय लॉन्ड्री का मतलब है कि भूमि और वाशिंग मशीन रेलवे की है. हालांकि, इसमें काम करने वाले कर्मचारियों को अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया जा सकता है. बूट का मतलब है बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर लॉन्ड्री. ये रेलवे की भूमि पर स्थापित की गई हैं, लेकिन वॉशिंग उपकरण और कर्मचारी निजी पार्टी या संबंधित ठेकेदार के होते हैं.

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