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पेपर लीक से त्रस्त बिहार, हर साल चोट खाते अभ्यर्थी, सवाल- क्या पूरी तरह रोक लगा पाएगा नया कानून? - Anti Paper Leak Law - ANTI PAPER LEAK LAW

बिहार में 1000 करोड़ की पेपर लीक इंडस्ट्री फल फूल रही है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या 'एंटी पेपर लीक कानून' से शिकंजा कस सकेगा? देश में एंटी-पेपर लीक कानून लागू हो गया है. यह कानून भर्ती परीक्षाओं में नकल और अन्य गड़ब​ड़ियों पर नकेल कसेगा. ऐसे में ये सवाल भी उठ रहा है कि पेपर लीक के मास्टरमाइंड और बाकी गैंग के अलावा क्या स्टूडेंट्स भी इस नए कानून के दायरे में आते हैं?

एंटी पेपर लीक कानून
एंटी पेपर लीक कानून (Etv Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 22, 2024, 8:20 PM IST

पेपर लीक से त्रस्त बिहार को कितनी मिलेगी नए कानून से राहत, जानें (Etv Bharat)

पटना: बिहार में प्रश्न पत्र लीक को रोकना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. बिहार में खास तौर पर ज्यादातर परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक हो जा रहे हैं. नीट के प्रश्न-पत्र लीक हुए तो उसके तार भी बिहार से जुड़ गये हैं. हजारों करोड़ का व्यवसाय प्रश्न-पत्र लीक के जरिए बिहार से ऑपरेट किया जा रहा है. नए कानून के जरिए प्रश्न-पत्र लीक करने वालों के खिलाफ शिकंजा कसने की तैयारी है.

बिहार में 1000 करोड़ का पेपर लीक कारोबार: प्रश्न पत्र लीक के मामले में बिहार हॉटस्पॉट बन चुका है. ज्यादातर परीक्षाओं के प्रश्न पत्र बिहार में लीक कर दिए जाते हैं. उसके बाद सरकार की फजीहत भी होती है. बिहार की अगर बात कर लें तो राज्य के अंदर 1000 करोड़ का कारोबार फल फूल रहा है. ज्यादातर परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक कर दिए जाते हैं. राष्ट्रीय स्तर पर नीट परीक्षा के जब प्रश्न पत्र लीक हुए तो उसके तार भी बिहार से जुड़ गये.

बिहार में कब-कब लीक हुए पेपर: अक्टूबर 2017 को बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक कर दिया गया था, बाद में परीक्षा को रद्द करनी पड़ी. उसके बाद फरवरी 2018 को कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल की परीक्षा का आयोजन हुआ था. इसका प्रश्न पत्र भी वायरल हो गया था. साल 2019 में बिहार पुलिस भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र को भी लीक कर दिया गया था. जनवरी 2021 को बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर भी वायरल हुआ था. मार्च 2021 को बिहार अग्नि शमन सेवा भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी. इस परीक्षा के प्रश्न-पत्र को भी लीक कर दिया गया था.

चर्चा में बीपीएससी पेपर लीक : फरवरी 2022 को बिहार उत्पाद विभाग भर्ती परीक्षा का आयोजन हुआ, इसके प्रश्न पत्र भी लीक हो गए. फरवरी 2022 को सीजीएल परीक्षा का आयोजन हुआ, इसके प्रश्न पत्र भी वायरल हो गये. दबाव में आकर सरकार को परीक्षा रद्द करनी पड़ी. मई 2022 को 67वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा के पेपर आउट हो गए, खूब बवाल मचा और परीक्षा रद्द कर दी गई.

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नीट पेपर से मचा बवाल : दिसंबर 2022 को तीसरी स्नातक स्तरीय प्रारंभिक परीक्षा का प्रश्न पत्र भी लीक हो गया था. अगस्त 2023 को अमीन भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र भी लीक हो गया था और परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी. अक्टूबर 2023 को बिहार पुलिस सिपाही भर्ती का पेपर भी लीक हो गया था. हाल में नीट का प्रश्न पत्र भी लीक हो गया. इसके बाद राष्ट्रव्यापी बवाल मचा है.

पेपर लीक से सरकार चिंतित: एक के बाद एक प्रश्न पत्र लीक की घटना ने सरकार की चिंता बढ़ा दी. बिहार सरकार पहले से ही परीक्षा के दौरान पेपर लीक होने से त्रस्त थी, लेकिन नीट परीक्षा का प्रश्न-पत्र लीक होने के बाद केंद्र सरकार के भी कान खड़े हुए और सरकार ने प्रश्न पत्र लीक होने से रोकने के लिए कड़े कानून बनाए. कानून को लेकर शिक्षा विभाग और कानून विद की चिंता भी है.

क्या है एंटी पेपर लीक कानून : पेपर लीक कानून के मुताबिक अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे 10 साल की सजा और एक करोड़ का जुर्माना लगेगा. अगर कोई दूसरे कैंडिडेट की जगह परीक्षा में बैठता है तो तो उसे 3 से 5 साल की सजा और 10 लाख जुर्माना लगेगा. कोई संस्थान पेपर लीक या नकल में संलिप्त पाया जाता है तो उसकी संपत्ति जब्त की जाएगी और परीक्षा का पूरा खर्चा वसूला जाएगा. 12 फरवरी 2024 को इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने मंजूरी दी. 21

क्या कहते हैं स्टूडेंट? : छात्र अंकित का मानना है कि सरकार ने प्रश्न-पत्र लीक को रोकने के लिए जो कानून लाए हैं उससे प्रश्न-पत्र लीक को नहीं रोका जा सकेगा. क्योंकि कानून में लीक होने के बाद की प्रक्रिया को अपनाया गया है. सरकार को इस बात की चिंता भी करनी चाहिए कि ऐसी घटना ना हो उसके लिए रोड मैप बनाया जाना चाहिए.

कानून को लेकर छात्र मनीष कुमार की भी चिंता है. इनका मानना है कि सरकार ने कई कानून बनाए हैं, लेकिन कानून को सख्ती से लागू नहीं किया जाता है, जिसका नतीजा यह होता है कि हर बार परीक्षा के प्रश्न-पत्र लीक हो जाते हैं और हम जैसे बेकसूर छात्रों को सफल करना पड़ता है.

'सरकार कमजोर कड़ी करे दूर' : शिक्षाविद डॉक्टर सुनील कुमारका मानना है कि सरकार ने कानून जरूर लाया है लेकिन सरकार को अपनी मंशा भी साफ करनी चाहिए. कई स्तर पर नीट की परीक्षा में गड़बड़ियां हुई हैं. जिससे मेडिकल क्षेत्र की छवि धूमिल हुई है. सरकार को सबसे पहले परीक्षा को रद्द करना चाहिए और नए सिरे से परीक्षा आयोजित करनी चाहिए. इसके अलावा प्रश्न पत्र लीक ना हो इसके लिए भी सरकार को कमजोर कड़ी को दुरुस्त करना चाहिए.

क्या सोचते हैं कानून के जानकार?: वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुशवाहा का मानना है कि ''सरकार की मंशा ठीक है और वह कानून के जरिए प्रश्न-पत्र लीक को रोकना भी चाहती है. कानून में प्रश्न पत्र लीक होने के बाद की प्रक्रिया को बताया गया है, लेकिन प्रश्न-पत्र लीक न हो इसके लिए भी प्रावधान किए जाने चाहिए. जहां पर भी प्रश्न-पत्र छपे हो या फिर उससे जुड़ा कोई काम होता हो वहां क्लोज सर्किट कैमरे की निगरानी होनी चाहिए. जो पढ़े लिखे लोग ना हों उन्हें प्रश्न-पत्र छापने के काम में लगाना चाहिए.''

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