मुंबई :राजनीति में यह कहना मुश्किल है कि किस पार्टी या नेता को किस चीज से फायदा होगा और उस पार्टी की जीत आसान होगी. सामने वाले उम्मीदवार को किसी वाक्य या घटना से अचानक सहानुभूति मिल जाती है और अंतिम समय में उसका पलड़ा भारी हो जाता है. राज्य के बड़े नेता शरद पवार के मामले में भी कुछ ऐसा है. इस समय पवार की सेहत को लेकर कुछ चर्चाएं चल रहीं, साथ ही उसे मटके फोड़ने से भी जोड़ा जा रहा है. पूरे मामले को देखें तो बीते चुनाव का जिक्र करना भी जरूरी है.
बारिश में भी जारी रखा था भाषण:शरद पवार ने 2019 चुनाव में सतारा लोकसभा क्षेत्र से श्रीनिवास पाटिल को उम्मीदवार बनाया. जहां ऐसा माहौल था कि यहां छत्रपति उदयनराजे भोसले को चुना जाएगा, वहीं शरद पवार ने श्रीनिवास पाटिल के प्रचार के लिए बैठक की. तभी अचानक बारिश शुरू हो गई और शरद पवार ने बारिश में भीगते हुए बैठक जारी रखी. 80 साल के एक नेता ने बारिश में भी अपने उम्मीदवार के लिए सभा की, जिसका मतदाताओं पर बड़ा प्रभाव पड़ा. उस निर्वाचन क्षेत्र में श्रीनिवास पाटिल की जीत हुई. अब एनसीपी कांग्रेस में दो गुट हो गए हैं. इसलिए इस बार का चुनाव बेहद कड़ा और कड़ा होने वाला है.
मटके फोड़ना और शरद पवार की बीमारी:बारामती लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान एक अति उत्साही कार्यकर्ता ने प्रचार सभा में मटके फोड़ दिए. दरअसल किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद आग लगाने से पहले मटका फोड़ा जाता है. इससे यह संदेश दूर-दूर तक फैल गया कि इन कार्यकर्ताओं द्वारा की गई उदासीनता किसी व्यक्ति की मृत्यु का इंतजार कर रही है. इससे जनमानस में इसकी तीव्र प्रतिक्रिया हुई.
वहीं, संयोग से शरद पवार बीमार पड़ गए हैं. महाराष्ट्र के सभी लोग जानते हैं कि शरद पवार कई सालों से एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं, लेकिन शरद पवार की इस बीमारी और उनके बारे में दिए गए बयानों से एक बार फिर महाराष्ट्र में शरद पवार के लिए सहानुभूति की लहर पैदा हो सकती है. किसी व्यक्ति के गलत काम या किसी व्यक्ति की बीमारी के कारण उत्पन्न सहानुभूति की लहर उनकी पार्टी या उम्मीदवार की जीत के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक विजय चोरमारे ने आशंका जताई है कि एक बार फिर शरद पवार की बीमारी से उनकी पार्टी को फायदा हो सकता है.