दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

हरियाणा चुनाव परिणाम: सत्ता विरोधी लहर के बावजूद ट्रेंड में क्यों पिछड़ रही कांग्रेस ?

सुबह 11 बजे तक हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी 47 सीटों पर आगे चल रही थी, जबकि कांग्रेस 36 सीटों पर आगे चल रही थी.

सत्ता विरोधी लहर के बावजूद क्यों पिछड़ रही कांग्रेस
सत्ता विरोधी लहर के बावजूद क्यों पिछड़ रही कांग्रेस (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 8, 2024, 11:41 AM IST

नई दिल्ली: सुबह 11 बजे तक हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) 47 सीटों पर आगे चल रही थी, जबकि कांग्रेस 36 सीटों पर आगे चल रही थी. हालांकि, कांग्रेस का वोट शेयर 40.57 प्रतिशत था, जबकि भाजपा का वोट शेयर 38.80 फीसदी था. शुरुआती रुझानों के अनुसार हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस उम्मीदों और पूर्वानुमानों से कहीं कमतर प्रदर्शन करती दिख रही है.

सुबह 11 बजे तक 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में बीजेपी 47 सीटों पर आगे चल रही थी, जबकि कांग्रेस 36 सीटों पर आगे चल रही थी. हालांकि, कांग्रेस का वोट शेयर 40.57 फीसदी था, जबकि बीजेपी का वोट शेयर 38.80 फीसद था. बता दें कि राज्य में बहुमत का आंकड़ा 46 सीटों का है.

शुरुआती रुझानों से पता चला है कि हरियाणा में बीजेपी 47 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस 36 सीटों पर आगे चल रही है. शुरुआती रुझानों से लगता है कि हरियाणा में मुकाबला अनुमान से कहीं ज़्यादा नजदीकी है, क्योंकि राज्य में 25 प्रतिशत वोटों की गिनती हो चुकी है.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर बहुत ज्यादा निर्भरता
ऐसा लगता है कि कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर बहुत ज्यादा निर्भर थी और यह निर्भरता उसके लिए कारगर साबित नहीं हुई. कांग्रेस का मानना था कि जाट, दलित और मुस्लिम वोट मिलकर राज्य में उसकी जीत सुनिश्चित करेंगे, लेकिन ऐसा लगता है कि बीजेपी ने गैर-जाट और गैर-मुस्लिम वोटों के बीच अपने वोट को बेहतर तरीके से एकजुट किया है.

बीजेपी ने गैर-जाट वोटर को रखा एकजुट
इसके अलावा, गैर-जाट अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोटों को एकजुट करने की पार्टी की योजना उसके लिए कारगर साबित हुई. ऐसा लगता है कि बीजेपी ने पूर्वी और दक्षिणी हरियाणा के गैर-जाट इलाकों में अपना गढ़ बरकरार रखा है. इसने जाट-बहुल पश्चिमी हरियाणा में उल्लेखनीय रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है, जहां गैर-जाट वोट बड़ी संख्या में बीजेपी के पक्ष में एकजुट हुए हैं.

हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच अंदरूनी कलह
बीजेपी के खिलाफ कथित सत्ता विरोधी लहर के बावजूद, कांग्रेस भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच अंदरूनी कलह को रोकने में सक्षम नहीं रही है, तनाव ने भी पार्टी की संभावनाओं को कुंद कर दिया है. जमीनी स्तर पर, कांग्रेस ने बीजेपी की तरह एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ा, जिसमें कई बागी निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े.

हालांकि पार्टी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुख्यमंत्री के रूप में संभावित वापसी की घोषणा नहीं की है, लेकिन यह भी उसके पक्ष में नहीं गया. हरियाणा में गैर-जाट वोटों के बीच, 2004 से 2014 के बीच हुड्डा सरकार को भ्रष्ट माना जाता था और शासन के मापदंडों पर उसका प्रदर्शन खराब था. उनके शासन के दौरान, राज्य में कानून और व्यवस्था भी खराब बताई गई थी.

यह भी पढ़ें- 'जनादेश का सम्मान करें,कोई जुगाड़ न करें', जम्मू कश्मीर चुनाव परिणाम पर उमर अब्दुल्ला का BJP को संदेश

ABOUT THE AUTHOR

...view details