चंडीगढ़: हरियाणा में बीजेपी सरकार अल्पमत में आ गई है. दरअसल तीन निर्दलीय विधायको ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया है. 90 विधायकों वाली हरियाणा विधानसभा में वर्तमान में 88 विधायक हैं. क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं. ऐसे में 88 विधायकों वाली विधानसभा में बीजेपी के पास 43 विधायकों का समर्थन रह गया है, जबकि बहुमत के लिए 45 चाहिए.
हरियाणा में पैदा हुए इस नये सियासी संकट को लेकर विधायी कार्यों के जानकार रामनारायण यादव कहते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव विधानसभा के सत्र के दौरान लाया जाता है. सत्र के दौरान कई मुद्दों पर अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष ला सकता है. यह मुद्दों पर आधारित होता है, ऐसा नहीं है कि 6 महीने बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. अगर मुद्दा दूसरा है तो 2 दिन बाद भी अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. अविश्वास प्रस्ताव का मतलब सरकार गिराना नहीं होता है बल्कि सरकार की नीतियों पर चर्चा कराना होता है.
अविश्वास प्रस्ताव के अलावा सरकार के पास विश्वास प्रस्ताव लाने का भी विकल्प है. विश्वास प्रस्ताव तब लाया जाता है जब मुख्यमंत्री चाहते हैं कि वे अपनी सरकार के प्रति विश्वास प्रस्ताव लाना चाहते हैं. जैसा कि आम आदमी पार्टी पंजाब और दिल्ली में करती रही है. जब वे चाहते हैं कि अगला सत्र 6 महीने बाद आएगा तो वह उतने वक्त के लिए अपनी शक्ति जाहिर करते हैं. इतने समय के लिए विश्वास प्रस्ताव का रास्ता सरकार अपनाती है.