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Lok Sabha Eection Result 2024: हरियाणा में बीजेपी हुई हाफ, इन बड़े मुद्दों ने डुबोया, नहीं चला मोदी का जादू - Reason For BJP Defeat in Haryana

Lok Sabha Eection Result 2024: हरियाणा में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. 2019 का इतिहास दोहराने का दावा कर रही बीजेपी केवल 5 सीटों पर सिमट गई. बीजेपी के खिलाफ कई ऐसे मुद्दे थे, जिसे नेता समझने में नाकाम रहे और पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. आइये आपको बताते हैं वो कौन से मुद्दे रहे जिनके चलते हरियाणा में बीजेपी हाफ रह गई.

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jun 4, 2024, 7:15 PM IST

Lok Sabha Eection Result 2024
हरियाणा में बड़े मुद्दे. (Photo- ETV Bharat)

चंडीगढ़:लोकसभा चुनाव 2024 में पीएम मोदी का जादू नहीं चला. 400 पार का नारा दे रही बीजेपी खुद बहुमत से भी दूर हो गई. हलांकि एनडीए को बहुमत मिलता दिख रहा है. ज्यादातर राज्यों में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. हरियाणा में भी बीजेपी महज 5 सीटों पर सिमट गई है. 2019 में बीजेपी ने सभी 10 सीटें जीती थी. हलांकि बीजेपी 5 सीटों पर जीतने में कामयाब रही लेकिन इनमें भी कई सीटों पर जीत का अंतर बेहद कम रहा.

किसानों की नाराजगी

हरियाणा में किसानों की नाराजगी बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल साबित हुई. किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर हरियाणा में था. सितंबर 2020 में हुए इस आंदोलन के बाद ये पहला लोकसभा चुनाव था. ग्रामीण इलाकों में बीजेपी के खिलाफ सबसे ज्यादा गुस्सा था, जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा.

अग्निवीर योजना से युवाओं में गुस्सा

हरियाणा किसान और जवानों की धरती है. यहां से सबसे ज्यादा युवा सेना में भर्ती होने का सपना पालते हैं. जबसे चार साल की नौकरी वाली अग्निवीर योजना आई है युवाओं में इसको लेकर नाराजगी थी. अग्निवीर योजना का सबसे ज्यादा विरोध हरियाणा में ही हुआ था. हलांकि अहीरवाल इलाके की दोनों सीटें बीजेपी जीत गई. लेकिन 2019 में जीत का जो अंतर 3 लाख और 4 लाख से ज्यादा था, वो इस साल 50 हजार पर सिमट गया.

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सरकार के खिलाफ सरपंचों की नाराजगी

हरियाणा सरकार की ई टेंडरिंग को लेकर प्रदेश सभी सरपंच नाराज थे. उन्होंने लोकसभा चुनाव में बीजेपी के विरोध का ऐलान किया था. हरियाणा में कुल 6222 पंचायतें हैं. सरपंचों हर गांव में बीजेपी का विरोध कर रहे थे. 2023 में प्रदर्शन कर रहे सरपंचों पर मनोहर लाल खट्टर ने लाठी चार्ज कराया था. इसका असर भी इस चुनाव में देखने को मिला.

पुरानी पेंशन को लेकर कर्मचारियों की नाराजगी

हरियाणा में करीब 3 लाख 38 हजार सरकारी कर्मचारी हैं. पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लेकर कर्मचारी लगातार विरोध कर रहे हैं. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि उनका गुस्सा भी बीजेपी के लिए महंगा साबित हुआ. क्योंकि कांग्रेस ने OPS लागू करने का वादा किया था.

हरियाणा में एंटी इनकंबेंसी

हरियाणा में पिछले 10 साल से बीजेपी की सरकार है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो जनता में सरकार के खिलाफ गुस्सा था. स्थानीय नेताओं से लोग नाराज थे. खासकर मनोहर लाल खट्टर से ज्यादा नाराजगी थी. हलांकि चुनाव से ठीक पहले बीजेपी आलाकमान ने मनोहर लाल की जगह नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर सरकार का चेहरा बदलने की कोशिश की लेकिन उसका ज्यादा असर नहीं हुआ.

हरियाणा में बढ़ती बेरोजगारी

हरियाणा में बेरोजगारी भी बड़ा मुद्दा रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 23.4 प्रतिशत दर के साथ बेरोजगारी में हरियाणा पूरे देश में टॉप पर रहा है. विपक्ष ने इसको जमकर मुद्दा बनाया था.

आशा वर्कर और आंगनवाड़ी कर्मचारियों का विरोध

हरियाणा में आशा वर्कर और आंगनवाड़ी वर्कर अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से नाराज हैं. करीब 20350 आशा वर्कर हैं. इसके अलावा आंगनवाड़ी कर्मचारी भी सरकार से नाराज हैं. वहीं हरियाणा में आंगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स को मिलाकर इनकी संख्या करीब 50 हजार है. ये सभी मुद्दे बीजेपी के लिए हार के बड़े कारण बने.

हरियाणा में बीजेपी को तगड़ा झटका

हरियाणा में लोकसभा की कुल 10 सीटें हैं. इनमें से बीजेपी ने 5 और कांग्रेस ने 5 सीटों पर जीत हासिल की है. 2019 में बीजेपी ने सभी सीटों पर जीत हासिल की थी. हरियाणा में बीजेपी सभी 10 सीटों और कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. कांग्रेस ने कुरुक्षेत्र सीट इंडिया गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी को दी थी, जहां से AAP के सुशील गुप्ता बीजेपी उम्मीदवार नवीन जिंदल से मामूली मार्जिन से हार गये.

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