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100 करोड़ के हरियाणा सहकारिता घोटाले में CM का बड़ा फैसला- 1995 से ग्रांट की होगी ऑडिट, रडार पर कई अधिकारी

Haryana Cooperative Scam: हरियाणा सहकारिता घोटाले में आए दिन एक से बढ़कर एक मामले सामने आ रहे हैं. हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने आदेश दिए हैं कि 1995 से अब तक केंद्र और राज्य सरकार से अब तक जारी ग्रांट की ऑडिट होगी. इसमें बीजेपी और कांग्रेस के भी कार्यकाल शामिल हैं. क्या है पूरा मामला जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

Haryana Cooperative Scam audit grants since 1995
100 करोड़ के हरियाणा सहकारिता घोटाले में 1995 से ग्रांट की ऑडिट.

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 8, 2024, 10:16 AM IST

चंडीगढ़: हरियाणा सहकारिता घोटाले में अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज तक के रिकॉर्ड की ऑडिट के आदेश जारी किए हैं. उन्होंने एकीकृत सहकारी विकास परियोजना (ICDP) को केंद्र और राज्य सरकार से अब तक जारी ग्रांट ऑडिट की मंजूरी दी है. स्पष्ट है कि ऑडिट में अब वर्ष 1995 से अब तक के पूरे रिकॉर्ड की जांच की जाएगी. नतीजतन वर्तमान बीजेपी सरकार और कांग्रेस सरकार के कार्यकाल कुल 29 वर्षों के रिकॉर्ड की जांच की जाएगी. आवश्यकता पड़ने पर केंद्र से विभाग संबंधी रिकॉर्ड भी मंगाया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने सहकारिता मंत्री से की बातचीत: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस फैसले से पहले बीते मंगलवार की शाम प्रदेश के सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल को तलब कर उनके साथ करीब एक घंटा चर्चा की थी. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस दौरान उनसे घोटाले संबंधी सवाल-जवाब किए थे.

वर्ष 2022 से जांच कर रही एसीबी:गौर रहे कि हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) प्रदेश के सहकारिता विभाग के इस 100 करोड़ के घोटाले की जांच वर्ष 2022 से कर रही है. पूर्व समय में कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद जांच टीम द्वारा बीती 2 फरवरी को कुछ अन्य आरोपियों को गिरफ्तार करने का खुलासा किया गया.

2022 से पहले भी हेरा-फेरी: एसीबी की अब तक की जांच में हरियाणा के सहकारिता विभाग की एकीकृत सहकारी विकास परियोजना (ICDP) में साल 2022 से पहले वर्ष 2018 से 2021 तक और उससे पहले भी हेरा-फेरी का पता लगा है. सूत्रों के अनुसार साल 2010-11 से घोटाला जारी है, इसी कारण अब वर्ष 1995 के रिकॉर्ड की जांच का फैसला किया गया है. एसीबी ने रिकॉर्ड संबंधी कई सबूत/साक्ष्य जुटाए हैं. इसी आधार पर अब यह घोटाला 180 करोड़ या इससे भी अधिक होने की बात सामने आई है.

सरकारी रकम से कई प्रॉपर्टी खरीदी: एसीबी की जांच टीम की रिपोर्ट के अनुसार आरोपियों द्वारा सरकारी धन से अपने-अपने निजी हित में फ्लैट, जमीन आदि खरीदने की बात है. इस जालसाजी को छुपाने के लिए आरोपियों द्वारा सरकारी रिकॉर्ड, दस्तावेज, बैंक खातों संबंधी विवरण आदि जाली लगाए गए. एसीबी की जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ करनाल-अंबाला रेंज में विभिन्न धाराओं के तहत अब तक 11 केस दर्ज किए गए हैं.

अनु कौशिश-स्टालिन हैं मास्टरमाइंड: सहकारिता विभाग के इस 180 करोड़ व इससे अधिक पहुंच रहे घोटाले के मास्टरमाइंड तत्कालीन असिस्टेंट रजिस्ट्रार अनु कौशिश और बिजनेसमैन स्टालिनजीत सिंह को बताया गया है. आरोपियों ने फर्जी बिल, फर्जी कंपनियों के नाम पर सरकारी पैसे का गबन किया और सरकारी धन को हवाला के जरिए दुबई और कनाडा पहुंचाया. दोनों आरोपी स्वयं भी विदेश भागने की फिराक में थे, लेकिन एसीबी की जांच टीम ने भनक लगने पर दोनों को गिरफ्तार कर लिया. जांच टीम अब तक इस घोटाले में संलिप्त 6 गजटेड अधिकारियों, ICDP रेवाड़ी के 4 अन्य अधिकारियों समेत 4 निजी लोगों की गिरफ्तार कर चुकी है.

नोडल अफसर बर्खास्त, 10 अफसर समेत 14 गिरफ्तार: वर्ष 2017 से एकीकृत सहकारी विकास परियोजना (ICDP) के नोडल अधिकारी एडिशनल रजिस्ट्रार नरेश गोयल को बर्खास्त किया गया है. अब उनकी जगह जॉइंट रजिस्ट्रार योगेश शर्मा को नियुक्त किया है. इसके अलावा जांच टीम घोटाले में संलिप्त 6 गजटेड अधिकारियों, ICDP रेवाड़ी के 4 अन्य अधिकारियों समेत 4 निजी लोगों को गिरफ्तारी कर चुकी है.

कैथल में को-आप्रेटिव सोसायटियों में फर्जी भर्ती

कैथल में को-आप्रेटिव सोसायटियों में फर्जी भर्ती: हरियाणा के कैथल जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बनी विभिन्न को-आप्रेटिव सोसायटियों में कर्मचरियों की फर्जी भर्ती का मामला सामने आया है. इसमें पिछले दो-तीन सालों के अंदर हुई जिले की 8 को-आप्रेटिव सोसायटियों के 56 कर्मचारियों की नियुक्ति संदिग्ध मिली हैं. कैथल सहकारी समितियों के सहायक रजिस्ट्रार ने इन सभी भर्तियों को रद्द करने के लिए डिप्टी रजिस्ट्रार कुरुक्षेत्र की कोर्ट में याचिका दायर किए हुए हैं, जो अभी विचाराधीन हैं. डिप्टी रजिस्ट्रार के आदेशों के बाद ही इनको हटाया जाएगा.

कैथल में को-आप्रेटिव सोसायटियों में फर्जी भर्ती

भर्ती में नियमों की अवहेलना: बता दें कि रजिस्ट्रार सहकारी समितियां हरियाणा ने 12 अगस्त 2013 को अपने कार्यालय से पत्र जारी करते हुए प्रदेश के सभी उप रजिस्ट्रार को उनके अधीन सहकारी समितियों (पैक्स) में नई नियुक्ति और भर्ती न करने के आदेश जारी किए थे. इसके बाद भी जिले की कई सहकारी समितियों में विभागीय नियमों को ताक पर रखते हुए गलत तरीके से अपने लोगों की भर्ती करने बात सामने आई है. ज्यादातर मामलों में कर्मचारियों की भर्ती करने के लिए सहायक रजिस्ट्रार की अनुमति भी नहीं ली गई है, जबकि भर्ती के लिए अनुमति जरूरी होती है. इसके साथ ही भर्ती के नियमों की अवहेलना की गई है. कुछ भर्तियों में सहकारी समितियों (पैक्स) के डायरेक्टर और मैनेजर द्वारा अपने परिवार के सदस्यों को नौकरी पर रखा गया है.

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