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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 5 hours ago

Updated : 3 hours ago

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हरियाणा चुनाव में इन 29 सीटों से हो जायेगा सरकार का फैसला, जानिए एक-एक सीट का सटीक विश्लेषण - HARYANA GT ROAD BELT EQUATION

GT Road Belt Equation: हरियाणा में एक सियासी इलाका है, जिसे जीटी रोड बेल्ट कहा जाता है. इस बेल्ट में जितनी सीटें आती हैं, उसी के नतीजे पर सरकार बनती है. जिस पार्टी ने यहां बाजी मारी वो सत्ता पर काबिज होती है. कभी यहां कांग्रेस का बोलबाला था लेकिन बाद में बीजेपी का कब्जा हो गया. लेकिन 2019 के बाद से बीजेपी फिर कमजोर हुई और कांग्रेस की वापसी हुई. आइये जानते हैं 2024 में जीटी रोड बेल्ट में क्या नतीजे रहने वाले हैं.

GT Road Belt Equation
जीटी रोड बेल्ट का समीकरण (Photo- ETV Bharat)

चंडीगढ़:हरियाणा में जीटी रोड बेल्ट में आने वाली सीटें सरकार बनाने का फैसला करती हैं. इसीलिए जीटी रोड बेल्ट पर हर पार्टी का फोकस रहता है. ये इलाका आम तौर पर गैर जाट बाहुल्य है, इसीलिए बीजेपी के लिए सियासी रूप से उपजाऊ है. यहां सबसे ज्यादा सीट जीतने वाली पार्टी ही सत्ता में आती है. साल 2014 में पहली बार बीजेपी ने हरियाणा में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई, जिसमें जीटी रोड बेल्ट की बड़ी भूमिका रही है. 2019 में भी बीजेपी यहां से ज्यादा सीटें जीतकर सत्ता में वापस लौटने में कामयाब रही.

कमजोर हुई बीजेपी, कांग्रेस ने की वापसी

जीटी रोड बेल्ट में सोनीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, यमुनानगर, अंबाला और पंचकूला जिलों की 29 विधानसभा सीटें आती हैं. ये इलाका कभी कांग्रेस का गढ़ रहा है लेकिन 2014 से यहां बीजेपी का दबदबा है. जीटी रोड बेल्ट में बीजेपी ने 2014 में 29 सीटों में से 22 सीटें जीती थी और पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. जबकि कांग्रेस केवल 5, एक इनेलो और एक निर्दलीय की जीत हुई थी. वहीं 2019 में बीजेपी की सीटें कम हो गईं. बीजेपी को 14 सीटें, 13 कांग्रेस, जेजेपी एक और एक निर्दलीय के खाते में गई. 2019 में जीटी रोड बेल्ट में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा इसलिए बहुमत से दूर रह गई और जेजेपी-निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनानी पड़ी.

जीट रोड बेल्ट के नतीजे
कुल सीटें 29
2014 2019
बीजेपी 22 14
कांग्रेस 5 13
जेजेपी - 1
इनेलो 1 0
निर्दलीय 1 1

1. पंचकूला जिले में किसका चलेगा सिक्का?

पंचकुला-2014 और 2019 में बीजेपी जीती.पंचकुला सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार और विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता, जो कि बनिया समाज से आते हैं दो बार लगातार विधायक रहे हैं. लेकिन इस बार कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व डिप्टी सीएम चंद्र मोहन उनको कड़ी चुनौती दे रहे हैं.

कालका-2014 में बीजेपी की लतिका शर्मा विधायक बनी थीं. 2019 में कांग्रेस के प्रदीप चौधरी जीते. इस बार बीजेपी ने लतिका शर्मा की जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी शक्ति रानी शर्मा को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक प्रदीप चौधरी पर ही भरोसा जताया है. यहां दोनों उम्मीदवारों में कड़ी टक्कर बताई जा रही है.

2. अंबाला में किसके बीच मुकाबला?

अंबाला कैंट- अंबाला कैंट से बीजेपी के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज 6 बार विधायक रह चुके हैं. वो सातवीं बार मैदान में हैं. लेकिन इस बार अनिल विज की राह आसान दिखाई नहीं दे रही है. त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है. उनके सामने कांग्रेस की बागी चित्रा सरवारा चुनौती बनी हुई हैं. कांग्रेस के परविंदर सिंह परी मैदान में हैं. अनिल विज को ग्रामीण इलाकों में विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

अंबाला सिटी- 2019 और 2014 में भी बीजेपी जीती. इस सीट पर दो बार विजेता रहे असीम गोयल हैट्रिक लगाने की कोशिश में हैं. उनके सामने कांग्रेस से पूर्व मंत्री निर्मल सिंह हैं. 2019 में निर्मल सिंह निर्दलीय मैदान में थे. इस बार कांग्रेस के टिकट पर उनके लड़ने से असीम गोयल पर वो भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं. एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भी असीम गोयल के लिए मुश्किल बना हुआ है.

मुलाना (आरक्षित)- 2019 में कांग्रेस और 2014 में बीजेपी के खाते में रही. मुख्य मुकाबला भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच दिख रहा है. इस सीट पर बीजेपी की संतोष चौहान सरवन उम्मीदवार है. जबकि कांग्रेस ने लोकसभा सांसद और इसी सीट से विधायक रहे वरुण चौधरी की पत्नी पूजा को उम्मीदवार बनाया है. फिलहाल यहां कांग्रेस मजबूत दिखाई दे रही है.

नारायणगढ़- 2014 में बीजेपी और 2019 में कांग्रेस जीती. इस बार बीजेपी ने पवन सैनी को मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने मौजूदा विधायक शैली चौधरी को टिकट दिया है. शैली चौधरी बीजेपी उम्मीदवार से आगे दिख रही हैं. पवन सैनी 2014 और 2019 में लाडवा से बीजेपी के उम्मीदवार थे. इस बार सीएम नायब सैनी वहां से चुनाव लड़ रहे हैं. इसलिए पवन सैनी को यहां से टिकट दिया गया है. बाहरी उम्मीदवार होने की वजह से वो यहां पिछड़ते दिखाई दे रहे हैं.

3. यमुनानगर में क्या बीजेपी खोल पाएगी खाता?

साढौरा (आरक्षित)- 2014 में बीजेपी जीती. 2019 में कांग्रेस की जीत. इस बार बीजेपी ने 2014 में विधायक रहे बलवंत को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने मौजूदा विधायक रेनू बाला को टिकट दिया है. ग्रामीण क्षेत्र होने की वजह से इस सीट पर बीजेपी कमजोर दिखाई दे रही है. वहीं इनेलो और बीएसपी के प्रत्याशी बृज पाल छप्पर भी मुकाबले में हैं.

जगधारी- 2014 और 2019 में बीजेपी जीती. यहां से कैबिनेट मंत्री कंवर पाल गुर्जर बीजेपी के प्रत्याशी है. वहीं कांग्रेस ने अकरम खान को उम्मीदवार बनाया है. आप ने आदर्श पाल गुर्जर को टिकट दिया है. गुर्जर वोट के बांटने की संभावना के बीच बीजेपी प्रत्याशी कंवर पाल गुर्जर के लिए मुश्किल हो सकती है. कंवर पाल गुर्जर के लिए इस बार जीत आसान नहीं है.

यमुनानगर-2014 और 2019 में भी बीजेपी जीती. इस बार भी बीजेपी से मौजूदा विधायक घनश्याम दास अरोड़ा को टिकट मिला है. वहीं कांग्रेस ने रमन त्यागी और इनेलो ने दिलबाग सिंह को उम्मीदवार बनाया है. यहां पर इनेलो और बीजेपी के बीच टक्कर दिखाई दे रही है. हालांकि कुछ हद तक अभी बीजेपी आगे दिखाई दे रही है.

रादौर- 2019 में कांग्रेस तो 2014 में बीजेपी जीती थी. इस बार बीजेपी ने 2014 में विधायक रहे श्याम सिंह राणा को रण में उतारा है. जबकि 2019 में उन्हें टिकट नहीं मिला था. कांग्रेस ने मौजूदा विधायक बिशन लाल सैनी को फिर मौका दिया है. यहां पर बीजेपी के श्याम सिंह राणा चुनावी रण में आगे दिखाई दे रहे हैं.

4. धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के क्या हैं हालत?

लाडवा- 2014 में बीजेपी जीती. 2019 में कांग्रेस को विजय मिली. इस बार बीजेपी से मुख्यमंत्री नायब सैनी चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि कांग्रेस ने मौजूदा विधायक मेवा सिंह को ही उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर मेवा सिंह सीएम नायब सैनी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. नायब सैनी के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं है. वो हार भी सकते हैं.

शाहबाद (आरक्षित)- 2014 में बीजेपी जीती. 2019 में जेजेपी के रामकरण काला जीते. कांग्रेस ने जेजीपी से आये मौजूदा विधायक रामकरण काला को मैदान में उतारा है. बीजेपी ने सुभाष कलसाना को उम्मीदवार बनाया है. यहां भी मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में दिखाई दिखाई दे रहा है लेकिन कांग्रेस के रामकरण काला आगे दिखाई दे रहे हैं.

थानेसर- 2014 और 2019 में बीजेपी जीती. इस बार फिर से बीजेपी ने मौजूदा विधायक सुभाष सुधा को टिकट दिया है. कांग्रेस ने इनेलो सरकार में मंत्री रहे अशोक अरोड़ा को मैदान में उतारा है. इस बार एंटी इनकंबेंसी फैक्टर की वजह से इस सीट पर बीजेपी पर कांग्रेस उम्मीदवार भारी दिखाई दे रहे हैं.

पिहोवा- 2014 में इनेलो जीती. 2019 में बीजेपी विजयी हुई. इस बार बीजेपी ने पूर्व मंत्री संदीप सिंह की जगह जय भगवान शर्मा को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने पूर्व मंत्री के बेटे मनिंदर सिंह चट्ठा को टिकट दिया है. बीजेपी को छोड़कर बाकी सभी दलों ने सिख चेहरों को तरजीह दी है. किसान बेल्ट होने के नाते यहां बीजेपी को यहां भी कड़ी चुनौती मिल रही है.

5. कौन बनेगा करनाल का किंग?

नीलोखेड़ी (आरक्षित)- 2014 में बीजेपी जीती थी. 2019 में निर्दलीय उम्मीदवार जीता. इस बार बीजेपी ने भगवान दास कबीर पंथी और कांग्रेस ने मौजूदा निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर को उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में मुख्य टक्कर मानी जा रही है. हालांकि इनेलो बीएसपी प्रत्याशी भी मुकाबले में हैं. मौजूदा विधायक को टिकट देने से कांग्रेस का पलड़ा भारी दिख रहा है.

इंद्री-2019 और 2014 में बीजेपी जीती. इस बार बीजेपी ने इस सीट पर मौजूदा विधायक राम कुमार कश्यप को उम्मीदवार है. कांग्रेस ने राकेश कंबोज पर दांव खेला है. आईएनएलडी-बीएसपी गठबंधन ने सुरेंद्र उड़ना को उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों उम्मीदवारों के समीकरणों को बिगाड़ते हुए दिख रहे हैं. ऐसे में इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है.

करनाल- 2014 और 2019 में बीजेपी को जीत मिली. इस बार बीजेपी ने जगमोहन आनंद को चुनावी दंगल में उतारा है. कांग्रेस ने सुमिता सिंह को उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. जगमोहन आनंद को जहां इस सीट पर पूर्व सीएम मनोहर लाल के करीबी होने का फायदा मिलता दिख रहा है. वहीं कांग्रेस उम्मीदवार एंटी इनकंबेंसी के सहारे हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार करनाल सीट की जीत बीजेपी के लिए आसान नहीं है.

घरौंडा-2109 और 2014 में बीजेपी के पास रही. यहां से दो बार के मौजूदा विधायक हरविंदर कल्याण को फिर से बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस ने वरिंदर राठौर को मैदान में उतारा है. इस सीट पर भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही टक्कर देखी जा रही है. हालांकि मौजूदा विधायक के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर है, जिससे कांग्रेस मजबूत दिख रही है.

असंध- 2014 में बीजेपी जीती. 2019 में कांग्रेस. इस बार भी कांग्रेस ने मौजूदा विधायक शमशेर गोगी को उम्मीदवार बनाया है. वहीं बीजेपी ने जोगिंदर राणा पर दांव खेला है. इस सीट पर आईएनएलडी और बीएसपी ने गोपाल राणा को उतारकर फाइट को त्रिकोणीय बना दिया है. बीजेपी और इनेलो प्रत्याशी राजपूत हैं, जिसकी वजह से इनकी वोट बंटने के चांस ज्यादा बन रहे हैं. जिसका फायदा कांग्रेस उम्मीदवार को मिल सकता है.

6. पानीपत की जंग की जंग में कौन जीतेगा?

पानीपत ग्रामीण-2014 और 2019 में बीजेपी जीती. इस सीट पर फिर से बीजेपी ने मौजूदा विधायक महिपाल ढांडा को चुनाव मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने सचिन कुंडू को टिकट दिया है. वहीं निर्दलीय विजय जैन भी दोनों पार्टियों को टक्कर दे रहे हैं. यहां बीजेपी और निर्दलीय के बीच मुकाबला बताया जा रहा है.

पानीपत शहरी- 2019 और 2014 में बीजेपी के पास रही। इस बार भी बीजेपी ने मौजूदा विधायक प्रमोद विज को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने वरिंदर शाह को टिकट दी है। जबकि बीजेपी की बागी रोहिता रेवड़ी ने निर्दलीय मैदान में उतरकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। इस सीट पर बीजेपी, कांग्रेस के पंजाबी और हैदराबादी समाज से आने वाली निर्दलीय एक दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। बीजेपी उम्मीदवार के लिए उनकी पार्टी की बागी नेता मुश्किलें खड़ी करती दिखाई दे रही है। वहीं पौंजबी वोट बैंक के बंटने का भी खतरा बीजेपी कांग्रेस के लिए बना हुआ है। यहां त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है.

इसराना (आरक्षित)- सीट पर 2019 में कांग्रेस और 2014 में बीजेपी जीती थी। बीजेपी ने इस सीट पर राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार को उम्मीदवार बनाया है। जबकि कांग्रेस ने मौजूदा विधायक बलबीर बाल्मिकी पर ही दाव खेला है। इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है.

समालखा- 2019 में कांग्रेस और 2014 में निर्दलीय विधायक की जीत हुई थी। कांग्रेस ने मौजूदा विधायक धर्म सिंह छोक्कार को मैदान में उतारा है। वहीं बीजेपी ने मनमोहन भड़ाना को उम्मीदवार बनाया है। यह दिनों उम्मीदवार गुर्जर समाज से आते हैं। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी और पूर्व विधायक रविंद्र मछरौली मुकाबले को कड़ा बना रहे हैं। जोकि जाट समाज से आते हैं। इस सीट पर गुर्जरों के बाद जाट मतदाता अधिक संख्या में आते हैं। जिसकी वजह से मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है.

7. सोनीपत में दिखेगा किसका जलवा?

गन्नौर- 2014 में कांग्रेस जीती थी. 2019 में बीजेपी को जीत मिली. इस बार त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है. बीजेपी के प्रत्याशी देवेंद्र कौशिक और कांग्रेस के पूर्व विधानसभा स्पीकर कुलदीप शर्मा के बीच बीजेपी के बागी निर्दलीय देवेंद्र कादियान कड़ी चुनौती दे रहे हैं. जानकार निर्दलीय के जीतने की संभावना ज्यादा बता रहे हैं.

राई- यहां से 2014 में कांग्रेस जीती थी. 2019 में बीजेपी विजयी हुई. इस बार मुख्य मुकाबला बीजेपी की कृष्णा गहलावत और कांग्रेस से जयपाल अंतिल के बीच है. राई में कड़ी टक्कर बताई जा रही है. हलांकि कांग्रेस बीजेपी पर भारी पड़ सकती है. क्योंकि बीजेपी उम्मीदवार कृष्णा गहलावत बाहरी उम्मीदवार हैं. जिसकी वजह से बीजेपी के लिए मुश्किल दिख रही है.

खरखौदा (आरक्षित)- 2014 और 2019 में कांग्रेस की जीत हुई. इस बार बीजेपी ने पवन खरखौदा और कांग्रेस ने जयवीर वाल्मीकि को मैदान में उतारा है. इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर होने के आसार हैं. लेकिन कांग्रेस हैट्रिक लगा सकती है.

सोनीपत- 2014 में बीजेपी जीती थी. 2019 कांग्रेस में कांग्रेस का कब्जा. इस बार बीजेपी ने कांग्रेस के बागी सोनीपत के मेयर निखिल मदान को उम्मीदवार बनाया है. जबकि कांग्रेस ने मौजूदा विधायक सुरेंद्र पंवार पर दांव खेला है. इस सीट पर भी कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर बताई जा रही है.

गोहाना- 2014 और 2019 में भी कांग्रेस के पास थी. इस बार बीजेपी ने पूर्व सांसद अरविंद शर्मा को उम्मीदवार बनाया है जबिक कांग्रेस ने मौजूदा विधायक जगबीर मालिक को ही टिकट दिया है. निर्दलीय उम्मीदवार अरुण निनानियां बीजेपी का खेल बिगाड़ रहे हैं. अरविंद शर्मा के बाहरी उम्मीदवार होने का भी उनको नुकसान हो सकता है. ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस एक बार फिर मजबूत है.

बड़ौदा- इस सीट पर 2019 और 2014 में भी कांग्रेस जीती. कांग्रेस ने मौजूदा विधायक इंदुराज नरवाल को और बीजेपी ने प्रदीप सांगवान को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस के बागी नेता डॉक्टर कपूर नरवाल ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है. इसलिए कांग्रेस की चुनौती बड़ी है लेकिन बीजेपी से ज्यादा मजबूत कांग्रेस ही दिख रही है.

क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार?

जीटी रोड बेल्ट के 7 जिलों की 29 सीटों की स्थिति को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकर धीरेंद्र अवस्थी का कहना है कि इस बार भी ज्यादातर सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला दिख रहा है. कुछ सीटों पर त्रिकोणीय और दो-तीन सीटों पर निर्दलीय भी टक्कर दे रहे हैं. धीरेंद्र अवस्थी ने कहा कि बीजेपी ने 2014 में इस बेल्ट पर सबसे अधिक सीटें जीती थी, लेकिन 2019 में यह आंकड़ा आधे के करीब रह गया. इस बार बीजेपी की सीटें 10 से भी कम हो सकती है. कांग्रेस इस बार पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा सीटें इस बेल्ट में जीतने की स्थिति में है.

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