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गोबर वाली हर्बल गुलाल मचा रही धमाल, अब न खराब होगी त्वचा और ना त्योहार का मजा - Cow dung herbal gulal

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 23, 2024, 9:49 PM IST

ये गुलाल ग्वालियर में संचालित आदर्श गौशाला में तैयार किए जा रहे हैं. खास बात यह है कि इस गौशाला में तैयार किए गए अलग-अलग रंग के गुलाल कई तरह की खाद्य व अन्य सामग्रियों की मदद से बनाए गए हैं.

Cow dung herbal gulal gwalior holi 2024
गोबर वाली हर्बल गुलाल मचा रही धमाल

गोबर वाली हर्बल गुलाल मचा रही धमाल

ग्वालियर. चंबल में इस बार केमिकल फ्री गुलाल के बजाए गोबर के गुलाल से खेली जाएगी होली. खास ये है कि गोबर वाली ये गुलाल चुकंदर, पालक जैसी सब्जियों से तैयार की जाती है. इस गुलाल से केमिकल रिएक्शन का भी खतरा नहीं और इसे घर पर ही तैयार किया जा सकता है. एक नजर डालिए ईटीवी भारत संवाददाता पीयूष श्रीवास्तव की इस खास रिपोर्ट पर.

इस तरह तैयार हो रहा ये अनोखा गुलाल

होली का त्योहार आते ही बाजार रंग और गुलाल से सज जाता है लेकिन इनमें ज्यादातर केमिकल से बने गुलाल होते हैं. जो ना सिर्फ आपकी सेहत और त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि बच्चों के लिए भी खतरनाक होते हैं. वहीं बाजार में हर्बल गुलाल उपलब्ध तो होते हैं लेकिन इनकी कीमत आम रंगों से ज्यादा होती है. इस बीच ग्वालियर की एक गौशाला ने इन दिनों गोबर और सब्जियों से नेचुरल गुलाल तैयार किया है, जो आपकी होली का त्योहार रंगों से तो भरता ही है साथ ही ये स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक नहीं होता.

गौशाला में तैयार होता है हर्बल गुलाल

ये गुलाल ग्वालियर में संचालित आदर्श गौशाला में तैयार किए जा रहे हैं. खास बात यह है कि इस गौशाला में तैयार किए गए अलग-अलग रंग के गुलाल कई तरह की खाद्य व अन्य सामग्रियों की मदद से बनाए गए हैं. इसमें फिर गोबर की भस्म मिलाकर इसे अंतिम स्वरूप दिया जाता है. इस अनौखे तरीके से पिछले तीन वर्षों से ग्वालियर चंबल अंचल में ये हर्बल गुलाल तैयार किए जा रहे हैं और इनकी अच्छी डिमांड भी है.

गोबर वाली हर्बल गुलाल मचा रही धमाल

इस वजह से की ऐसा गुलाल बनाने की शुरुआत

गुलाल को तैयार करने वाली संस्था ऑनलाइन सर्विस एसोशिएशन की सचिव ममता सिंह ने कहा, ' हर साल होली का त्योहार आने पर लोग बाजार से केमिकल वाली गुलाल उठाकर ले आते हैं, जिनसे शरीर पर कई तरह के रिएक्शन हो जाते हैं. ऐसे में ये विचार किया गया कि क्यों ना ऐसा गुलाल तैयार किया जाए जो लोगों को नुकसान भी न पहुंचाए और उसे त्योहार का मजा भी खराब न हो. तब हम लोगों ने तीन साल पहले गौशाला के अंदर हर्बल गुलाल बनाना शुरू किया.'

चुकंदर से लाल और पालक से हरा रंग

इस गुलाल को तैयार करने के लिए घेरलू और नेचुरल चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें लाला रंग बनाने के लिए चुकंदर और पलाश के फूलों के साथ ही गोबर की भस्म मिलाई जाती है. वहीं हरे रंग के लिए पालक का इस्तेमाल होता है. इसी तरह पीला रंग हल्दी से आता है. इन रंग-बिरंगे हर्बल गुलाल बनाने के साथ ही लोगों को इसका प्रशिक्षण भी दिया गया, जिससे लोग घरों में भी इन्हें बनाकर खुद इस्तेमाल करें और दूसरों को भी जागरुक करें. लोगों को ये गुलाल पसंद भी बहुत आता है क्योंकि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है.

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स्वदेशी उत्पाद पर निर्भरता है उद्देश्य

आदर्श गौशाला की देखरेख करने वाले महाराज का कहना है कि उनलोगों ने इस हर्बल गुलाल का निर्माण इस उद्देश्य से किया था कि लोग अपनी संस्कृति से जुड़ें. जिस तरह चीन भारत में होली के लिए रंग, पिचकारी और दिवाली के लिए पटाखे बनाकर भेजता है और हम अपने ही त्योहारों में अपने लिए उत्पाद नहीं बना पाते. इसलिए यही उद्देश्य रहता है कि लोग अपनी संस्कृति और इससे जुड़ें हुए रोजगार से जुड़ें, जिससे विदेशी उत्पादों पर निर्भरता न रहे और ज्यादा से ज्यादा लोग स्वदेशी अपनाएं.

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