फतेपुरा (गुजरात): आदिवासी उत्कर्ष मंडल के तत्वावधान में आदिवासी समाज सुधार बैठक हुई. जिसमें 5 गांवों के आदिवासी नेता और बड़ी संख्या में आदिवासी युवा और बुजुर्ग मौजूद थे. बैठक में घूघस, खूंटा, नलवा, बीलवा सहित अन्य पंचायतें भी शामिल हुईं. इस दौरान वर्तमान में आदिवासियों की शादियों में होने वाले अत्यधिक खर्च, बड़ी मात्रा में दहेज, डीजे आदि को लेकर निर्णय लिया गया. इसमें आदिवासी समाज सुधार के तहत विचार-विमर्श के बाद शादियों की महंगी प्लानिंग पर रोक लगाई गई है. जिसमें डीजे, दहेज और डिनर का खर्च खत्म कर दिया गया है. इसके अलावा आदिवासी समाज में कुरिवाजा को त्यागने के अभियान को लेकर भी चर्चा हुई. आदिवासी उत्कर्ष मंडल द्वारा दिए गए कुछ सुझावों का आदिवासी समाज ने स्वागत किया है.
बता दें कि आदिवासी विवाह में बड़ी मात्रा में दहेज लिया जाता है. यह एक दुष्चक्र है, जिससे आदिवासी परिवार कभी बाहर नहीं निकल पाता. दहेज देने वाले आदिवासी परिवार साहूकारों से पैसा उधार लेने और ब्याज लेने के कारण कर्ज में डूब जाते हैं. आदिवासी कर्ज के पहाड़ के नीचे दबते जा रहे हैं. इस वजह से पूरे परिवार को शादी के खर्चों को पूरा करने और कर्ज से छुटकारा पाने के लिए रोजगार पाने के लिए ग्रामीण इलाकों में काम करने जाना पड़ता है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है.
भील समाज के पुराने रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह का उत्सव ढोल, थाली, कुड़ी, शरनाई के साथ मनाया जाना चाहिए. साथ ही कहा गया कि यदि डी.जे. बजाया तो 50,000 रुपये का जुर्माना लगेगा. वहीं भाग कर शादी करने वाले पर 2 लाख का जुर्माना तय किया गया. शादी-ब्याह के अवसर पर रात्रि भोजन के लिए दाल, चावल, कंसर या बूंदी तय की गई, जिसका सभी ने स्वागत किया.