नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि सरकार अपनी 'एक्ट ईस्ट नीति' के तहत पूर्वोत्तर को रणनीतिक प्रवेशद्वार बनाने के लिए काम कर रही है और पिछले 10 वर्षों में क्षेत्र के विकास के लिए आवंटन में चार गुना से अधिक की वृद्धि की गई है. 18वीं लोकसभा के गठन के बाद संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि पहली बार पूर्वोत्तर में अंतर्देशीय जलमार्गों पर बड़े पैमाने पर काम शुरू हुआ है और इससे इस क्षेत्र को काफी लाभ होगा.
उन्होंने कहा, 'मेरी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए आवंटन में चार गुना से अधिक की वृद्धि की है. सरकार अपनी एक्ट ईस्ट नीति के तहत इस क्षेत्र को रणनीतिक प्रवेशद्वार बनाने के लिए काम कर रही है.' भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' आसियान को केंद्र में रखते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विस्तारित पड़ोस पर केंद्रित है.
'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' का उद्देश्य द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तरों पर निरंतर सहभागिता के माध्यम से भारत-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और रणनीतिक संबंध विकसित करना है, जिससे राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के संबंधों सहित व्यापक अर्थों में बेहतर संपर्क प्रदान किया जा सके. राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्वोत्तर में सभी प्रकार की कनेक्टिविटी का विस्तार किया जा रहा है और शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और रोजगार सहित हर क्षेत्र में विकास कार्य किए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि असम में 27,000 करोड़ रुपये की लागत से सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित किया जा रहा है. पूर्वोत्तर भी मेड इन इंडिया चिप्स का केंद्र बनेगा. क्षेत्र में अतीत में हुई गड़बड़ियों का जिक्र करते हुए मुर्मू ने कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर में स्थायी शांति के लिए लगातार काम कर रही है और पिछले 10 वर्षों में कई पुराने विवादों को सुलझाया गया है तथा कई महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के अशांत क्षेत्रों से अफस्पा हटाने का काम भी चरणबद्ध तरीके से चल रहा है और उन क्षेत्रों में विकास को गति दी जा रही है.
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