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मुनव्वर फारूकी की जमानत अर्जी खारिज करने वाले पूर्व जज BJP में शामिल, कहा- मुझे राजनीति में... - Ex High Court Judge

Ex High Court Judge Rohit Arya On Joining BJP: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व जज रोहित आर्य शनिवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए गए. उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों की सुनवाई की थी.

Rohit Arya
पूर्व जज रोहित आर्य (MP state legal service)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 14, 2024, 6:57 PM IST

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व जज रोहित आर्य शनिवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. पार्टी में शामिल होने के बाद उन्होंने रविवार को कहा कि उनकी “सोच बीजेपी की फिलॉसफी से मेल खाती है. लाइव लॉ को दिए इंटरव्यू में पूर्व हाई कोर्ट जज ने कहा कि उन्हें मध्य प्रदेश बीजेपी ने एक सेमिनार में आमंत्रित किया गया था, जहां पार्टी के सदस्यों ने उनसे पार्टी से जुड़ने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, "मैं अभिभूत था और मैंने मना नहीं किया." हालांकि, आर्य ने स्पष्ट किया कि उनका चुनाव लड़ने का इरादा नहीं है और वह सिर्फ सार्वजनिक जीवन में रहना चाहते हैं. पूर्व जज ने कहा, "राजनीति मेरे बस की बात नहीं है. मुझे राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है और मेरा चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है. मैं सिर्फ सार्वजनिक जीवन में रहना चाहता हूं. बीजेपी एक पार्टी के रूप में ने लोगों के लिए मेरे विचारों को वास्तविकता में बदलने में मेरी मदद करेगी. मैं उन्हें कई सुझाव दूंगा."

मुनव्वर फारुकी को नहीं दी थी जमानत
बता दें कि जस्टिस रोहित आर्य को 12 सितंबर 2013 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था और 26 मार्च, 2015 को वे स्थायी जज बने. उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों की सुनवाई की, जिसमें 2021 में कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी और नलिन यादव को जमानत देने से इनकार करना भी शामिल है, जिन पर इंदौर में नए साल के कार्यक्रम के दौरान धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप था.

बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए फारुकी को जमानत दे दी. इस पर विचार करते हुए जस्टिस आर्य ने कहा, "मेरा मानना है कि अगर आप भावनाओं को ठेस पहुंचाएंगे, तो आपको सबक मिलना चाहिए. अब उस केस का सुप्रीम कोर्ट में जाकर क्या हुआ, उसमें मुझे कुछ नहीं कहना.

दिया था जमानत का विवादास्पद आदेश
2020 में जस्टिस आर्य ने एक विवादास्पद जमानत आदेश के साथ सुर्खियां बटोरीं, जिसमें छेड़छाड़ के एक मामले में एक आरोपी को इस शर्त पर जमानत दी गई थी कि वह रक्षा बंधन पर शिकायतकर्ता के सामने पेश होगा ताकि वह उसकी कलाई पर 'राखी' बांध सके. इस फैसले की काफी आलोचना हुई और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे पलट दिया.

आदेश पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, "यह आईपीसी की धारा 354 का मामला था, हालंकी (आरोपी ने पीड़िता का) बस हाथ ही पकड़ा था, इसमें कोई शक नहीं है कि ऐसा नहीं होना चाहिए था लेकिन दोनों एक ही गांव के थे, इसलिए मैंने सोचा मामला आपस में सुलह के साथ खत्म हो जाए. पीड़िता-आरोपी के बीच पैच-अप हो जाए.

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