पलामूः झारखंड-बिहार के सीमावर्ती इलाके में पोस्ता यानी अफीम की खेती को रोकना एक बड़ी चुनौती है. पुलिसिया कार्रवाई के बाद तस्कर तरीकों को बदल देते हैं. पुलिस लगातार अफीम के खिलाफ कार्रवाई कर रही है.
पलामू पुलिस ने अब तक 150 एकड़ से भी अधिक में लगे पोस्ते की फसल को नष्ट किया है. एक मामले को छोड़कर सभी इलाकों में पोस्ता की खेती जीएम लैंड या वन भूमि में किया गया था. बिहार के तस्करों ने पलामू के हरिहरगंज में बटाईदारी पर पोस्ता की खेती किया था. वहीं बिहार के तस्कर पोस्ता की खेती के लिए वन भूमि और गैर-मजरूवा जमीन (जीएम लैंड) का इस्तेमाल कर रहे हैं. पोस्ता की खेती के खिलाफ अभियान के दौरान पुलिस को कई जानकारी मिली है. तस्कर पुलिस से बचने के लिए खेती के तरीकों को भी बदल रहे हैं.
मल्टीपल लेयर पर लोग शामिल है, मुख्य रूप से फॉरेस्ट और जीएम लैंड को टारगेट किया जा रहा है. खेती करने वाले इस फिराक में है कि उनकी पहचान होने में देर लगे. इस बार मुख्य रूप से फॉरेस्ट और जीएम लैंड को ही टारगेट किया गया है. पोस्ता की खेती के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है. सबसे अधिक पलामू के मनातू कि इलाके में पोस्ता की खेती को नष्ट किया गया है, सिर्फ एक मामले में रैयती जमीन का मामला निकलकर सामने आया है. कुछ मामलों में बिहार के लोगों का सामना आया है मामले में अनुसंधान चल रहा है. -रीष्मा रमेशन, एसपी पलामू.
पहचान छुपाना चाहते हैं तस्कर
पुलिस की कार्रवाई इस बात का खुलासा हुआ है कि तस्कर अपनी पहचान को छुपाना चाहते हैं. इसलिए वे अपने तरीकों को बदल रहे है. पलामू पुलिस के आंकड़ों के अनुसार विभिन्न इलाकों में अब तक 1500 से भी अधिक ग्रामीणों पर पोस्ता की खेती के आरोप में मुकदमा दर्ज है. 2024 में पुलिस ने सात मामलों में एनडीपीएस एक्ट के अपराधियों को सजा दिलाने में सफल रही है. पुलिस की कार्रवाई और मुकदमों के अनुसंधान के बाद तस्कर अपनी पहचान छुपाने का प्रयास कर रहे हैं.