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जम्मू-कश्मीर: ISI और आतंकवादियों की मदद करने में 5 पुलिसकर्मी समेत 6 बर्खास्त - Jammu Kashmir Cops Terminated

Jammu- Kashmir administration Terminated Six Employees: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में कड़ा कदम उठाया है. प्रशासन ने पुलिसकर्मियों सहित छह कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया.

Lieutenant Governor Manoj Sinha
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 3, 2024, 1:15 PM IST

Updated : Aug 3, 2024, 1:25 PM IST

श्रीनगर: उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत पांच पुलिसकर्मियों सहित छह सरकारी कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी है. अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई एक जांच के बाद की गई. इसमें पाकिस्तान की आईएसआई और सीमा पार अन्य आतंकवादी समूहों द्वारा संचालित नार्को-आतंकवादी नेटवर्क में उनकी संलिप्तता का खुलासा हुआ था.

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पूरी जांच के बाद अवैध मादक पदार्थों के व्यापार के माध्यम से आतंकवाद को वित्तपोषित करने में उनकी भूमिका की पुष्टि होने के बाद बर्खास्तगी को मंजूरी दी. उन्होंने कहा कि नेटवर्क गहराई से जुड़ा हुआ था, जिसमें पुलिस और अन्य कर्मचारी अवैध गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए अपने पदों का दुरूपयोग करते पाये गए.

बर्खास्त कर्मचारियों में हेड कांस्टेबल फारूक अहमद शेख, कांस्टेबल खालिद हुसैन शाह, कांस्टेबल रहमत शाह, कांस्टेबल इरशाद अहमद चालकू, कांस्टेबल सैफ दीन और शिक्षक निजाम दीन शामिल है. आतंकवाद और उसके समर्थकों के प्रति अपनी शून्य सहनशीलता की नीति की पुष्टि करते हुए सरकार ने इस बीच ऐसी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कड़े कदम उठाने का वचन दिया.

अधिकारियों ने संकेत दिया कि नेटवर्क के भीतर अन्य कनेक्शनों और सहयोगियों को उजागर करने के लिए जांच जारी रहेगी. उन्होंने संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्टिंग में सार्वजनिक सतर्कता और सहयोग बढ़ाने का भी आह्वान किया. सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी का सिलसिला अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद शुरू हुआ.

बता दें कि जुलाई 2020 में एलजी सिन्हा के नेतृत्व वाले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कथित रूप से 'राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों' में शामिल सरकारी कर्मचारियों की साख की जांच के लिए 2020 के सरकारी आदेश संख्या 738-जेके (जीएडी) के तहत एक समिति का गठन किया था. सरकार का दावा है कि ऐसे कर्मचारियों की गतिविधियां 'कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों के संज्ञान में आई. वे राज्य की सुरक्षा के हितों के लिए हानिकारक गतिविधियों में संलिप्त पाए गए.

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Last Updated : Aug 3, 2024, 1:25 PM IST

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