पटना: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का चुनाव होना है. बिहार में चारों लोकसभा सीट नक्सल प्रभावित इलाकों से आती हैं. यहां गया, औरंगाबाद, नवादा और जमुई में फर्स्ट फेज में चुनाव होंगे. राजनीतिक दलों ने भी पहले चरण के चुनाव के लिए मुकम्मल तैयारी की है. कई बड़े नेताओं की साख दांव पर है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, पूर्व कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत, सांसद सुशील कुमार और राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है.
72 में से 33 उम्मीदवारों का नामांकन रद्द: आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को होनी है. 27 मार्च को नामांकन के अंतिम तिथि थी. कुल मिलाकर चारों लोकसभा सीट के लिए 72 उम्मीदवारों ने नामांकन का पर्चा दाखिल किया था. स्क्रुटनी के दौरान कुल 33 उम्मीदवारों के नामांकन के परिचय को रद्द कर दिया गया.
लोकसभा वार प्रत्याशियों की संख्या : गया सुरक्षित लोकसभा सीट पर कुल 22 नामांकन हुए थे. जिसमें 7 नामांकन को तकनीकी कारणों से रद्द कर दिया गया. नवादा लोकसभा सीट पर 17 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था. जबकि 9 उम्मीदवारों का नामांकन रद्द कर दिया गया. औरंगाबाद लोकसभा सीट पर 21 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था जबकि 12 उम्मीदवारों के नामांकन रद्द कर दिए गए. जमुई लोकसभा सीट पर 12 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था, जबकि पांच उम्मीदवारों का नामांकन रद्द कर दिया गया.
गया में मांझी फैक्टर : गया लोकसभा सीट पर सब की निगाहें टिकी हैं. हम पार्टी के संरक्षण और पूर्व मुख्यमंत्री गया आरक्षित लोकसभा सीट से उम्मीदवार हैं. जीतन राम मांझी 2019 के लोकसभा चुनाव में भी लड़े थे, लेकिन उन्हें जदयू उम्मीदवार विजय मांझी से शिकस्त मिली थी. गया लोकसभा सीट मांझी वोटों की बहुलता के लिए जाना जाता है. राजनीतिक दल भी मांझी उम्मीदवार पर भरोसा करते हैं.
गया सीट की जीत-हार का समीकरण: जीतन राम मांझी का दावा इसलिए भी मजबूत है कि वह वहां के स्थानीय कैंडिडेट हैं और इस बार उन्हें एनडीए का टिकट मिला है. जीतन राम मांझी पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनके बेटे संतोष सुमन बिहार सरकार में मंत्री हैं. दोनों नेताओं के प्रभाव का फायदा एनडीए को मिल सकता है. पिछले लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी को 314000 वोट हासिल हुए थे और वह लगभग डेढ़ लाख वोटों से चुनाव हारे थे. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जीत को लाल लेकर सकारात्मक है जीतन राम मांझी को एनडीए की टिकट पर उम्मीद है और मुसहर जाति के वोट बैंक में बिखराव ना होना उनके जीत के दावों को पुख्ता करता है.
मांझी Vs सर्वजीत: राष्ट्रीय जनता दल ने कुमार सर्वजीत पर दाव लगाया है. कुमार सर्वजीत पार्टी के विधायक हैं और कृषि मंत्री रह चुके हैं. गया लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधायक हैं, जिसमें तीन महागठबंधन के हैं. कुमार सर्वजीत लगातार दो बार बोधगया सीट पर विधायक रह चुके हैं. कुमार सर्वजीत के पिता राजेश कुमार भी सांसद रह चुके हैं. उनकी राजनीतिक विरासत को वह आगे बढ़ा रहे हैं. पासवान जाति से आने के चलते राजद को पासवान वोटों की उम्मीद भी है.
गया का जातीय समीकरण: मुस्लिम यादव और पासवान जाति के वोट की बदौलत राष्ट्रीय जनता दल गया सीट को जीतना चाहती है. साथ ही कुशवाहा वोटों से भी राष्ट्रीय जनता दल को उम्मीद है. गया जिले के नेता अभय कुशवाहा को औरंगाबाद में पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है.
औरंगाबाद का समीकरण : औरंगाबाद लोकसभा सीट पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं. दो बार से लोकसभा चुनाव जीत रहे भाजपा सांसद सुशील कुमार तीसरी बार मैदान में है औरंगाबाद को बिहार का चितौड़गढ़ कहा जाता है और राजपूत जाति के वोटर ही निर्णायक होते हैं औरंगाबाद लोकसभा सीट पर 1952 से राजपूत उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आ रहे हैं. औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में ढाई लाख से अधिक राजपूत वोटर हैं.
एनडीए से सीट छीनने की जुगत में लालू: लालू प्रसाद यादव ने औरंगाबाद लोकसभा सीट पर इस बार प्रयोग किया है और कुशवाहा उम्मीदवार मैदान में उतारा है. जदयू के पूर्व विधायक अभय कुशवाहा को लालू प्रसाद ने गया लोकसभा सीट पर उम्मीदवार बनाया है. लालू प्रसाद यादव की नजर 190000 यादव 125000 मुस्लिम और 125000 कुशवाहा जाति के वोटों पर है. साथ ही दो लाख महादलित की आबादी भी गया लोकसभा क्षेत्र में है.
नवादा का समीकरण : नवादा लोकसभा सीट पर एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ने प्रयोग किया है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से पिछले तीन चुनाव से हर बार नवादा लोकसभा सीट पर नए उम्मीदवार दिए जा रहे हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गिरिराज सिंह को मैदान में उतारा था, तो 2019 के चुनाव में सूरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. इस बार भाजपा ने राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर को मैदान में उतारा है.