पटना: देश में खासतौर से बिहार, यूपी और झारखंड में छठ महापर्व धूमधाम से मनाया जाता है. चार दिनों तक चलने वाले छठ व्रत की शुरुआत मंगलवार से नहाय खाय के साथ हो गई है. आज छठ का तीसरा दिन है. इस दिन को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
डूबते सूर्य को अर्घ्य: छठ व्रती खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं और तीसरे दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जल स्रोतों जैसे पोखर, तालाब, नदी या फिर वैकल्पिक इंतजाम करके पानी में डूबते सूर्य की ओर मुंह करके खड़े हो जाते हैं. जब तक सूर्य डूब नहीं जाता श्रद्धालु उपासना में लीन रहता है. सूर्य के डूबने के बाद लोग घरों की ओर वापस आते हैं फिर चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्योपासना का महापर्व छठ का समापन हो जाता है.
दिनभर तैयार होता है महाप्रसाद : छठ व्रती खरना के बाद से ही प्रसाद की तैयारी में जुट जाते हैं. अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने से पहले ठेकुआ, भुसवा सहित अन्य प्रसाद सामग्रियों को बनाकर दौरा सजाया जाता है. प्रसाद सामग्री को लेकर लोग छठ घाटों पर पहुंचते हैं फिर डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है.
सूर्योपासना के इस महापर्व पर मंत्रों की जरूरत नहीं पड़ती. फिर भी जो श्रद्धालु इन मंत्रों का उच्चारण करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. सूर्य की ओर पश्चिम दिशा में हाथ जोड़कर खड़े हो जाएं और फिर मंत्रों का उच्चारण करें.