डीएमएफ और कस्टम मिलिंग घोटाले को लेकर ईओडब्ल्यू-एसीबी में FIR, IAS रानू साहू का भी नाम, ईडी ने की शिकायत
DMF and Custom Milling Scam एसीबी ने ईडी की शिकायत पर कथित जिला खनिज फाउंडेशन यानी डीएमएफ और कस्टम चावल मिलिंग घोटालों में अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं. ईडी ने कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान दोनों मामलों में कथित भ्रष्टाचार की जांच शुरू की थी.जिसमें ईडी की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गईं. इसमें सरकारी अफसरों, ठेकेदारों और बिचौलियों का काम करने वाले लोगों को आरोपी बनाया गया है.
रायपुर : ईडी ने कोल स्कैम मामले की जांच में पाया कि डीएमएफ कोरबा के फंड से निविदाओं को बांटने के दौरान कई अनियमितता की गई है. गलत ढंग से निविदाओं को निर्धारण कर निविदाकर्ताओं को अवैध लाभ पहुंचाया गया है. जिससे सरकार को आर्थिक हानि हुई. इडी की जांच में कुल निविदा राशि में लगभग 40 प्रतिशत की राशि अफसरों तक पहुंची है. निजी कम्पनी ने निविदाओं पर 15 से 20 प्रतिशत अलग-अलग दरों से कमीशन लिया.जिसके कारण डीएमएफ राशि का दुरुपयोग करके अफसरों ने लाभ कमाया.
कैसे किया था कोल स्कैम ? :ईडी की शुरुआती जांच में जेल में बंद और निलंबित आईएएस रानू साहू ने अपने पद में रहते हुए कई तरह की अनियमितताएं की.जिसमें निविदा जमा करने वाले संजय शेण्डे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और मेडिएटर के रूप में काम करने वाले मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल एवं शेखर के साथ मिलकर गड़बड़ी की. डीएमएफ निविदाओं के आबंटन में, बिल को पास कराने के लिए, किसी वस्तु के वास्तविक मूल्य से अधिक मूल्य के दर्ज करवाकर राशि निकाली गई. भुगतान कराने के लिए आपस में मिलकर आपराधिक षड्यंत्र कर निविदाकर्ताओं को अवैध रूप से फायदा पहुंचाया गया.
क्या है ईडी की रिपोर्ट ? : ईडी के मुताबिक डीएमएफ एक ट्रस्ट है, जो खनन से संबंधित कार्यों से प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों के हित और लाभ के लिए काम करने के लिए छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में एक गैर-लाभकारी निकाय के रूप में स्थापित किया गया है. "प्रथम दृष्टया, ये पाया गया है कि (आईएएस अधिकारी) रानू साहू और अन्य लोक सेवकों ने अपने पदों का दुरुपयोग किया और बिलों को पास करने, अधिक मूल्य के बिलों को मंजूरी देने के लिए कई निविदाओं के आवंटन के लिए बोलीदाताओं के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची. किसी भी वस्तु के वास्तविक मूल्य से अधिक और उनके भुगतान प्राप्त करना और इन बोलीदाताओं और बिचौलियों को अवैध लाभ सुनिश्चित करना था. 2010 बैच के छत्तीसगढ़-कैडर के आईएएस अधिकारी साहू को कथित कोयला लेवी घोटाले के सिलसिले में ईडी ने पिछले जुलाई में गिरफ्तार किया था। पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान वह कोरबा और रायगढ़ जिले की कलेक्टर रह चुकी हैं.
कस्टम मिलिंग प्रकरण भी आया सामने :ईडी का शिकंजा राइस मिलर्स पर भी कसा गया. ईडी रिपोर्ट पर यह पाया गया कि राईस मिलर्स ने नागरिक आपूर्ति निगम और एफसीआई में कस्टम मिलिंग का चावल जमा करने में गड़बड़ी की है. इस प्रकिया में भारी पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया.जिसके कारण प्रति क्विंटल अवैध राशि वसूली गई. अफसरों ने पद का दुरूपयोग करते हुए राईस मिलर्स के साथ मिलीभगत कर लाभ कमाया.
मार्कफेड अफसर ने साथियों के साथ मिलकर की धोखाधड़ी :छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (सीजी-मार्कफेड) कोरबा की तत्कालीन जिला विपणन अधिकारी प्रीतिका पूजा केरकेट्टा को तत्कालीन प्रबंध निदेशक (मार्कफेड) मनोज सोनी ने रोशन चंद्राकर के माध्यम से निर्देश दिया था कि केवल जिन राइस मिलर्स ने कमीशन का पैसा दिया है, उन्हें ही भुगतान किया जाएगा.आयकर विभाग ने जब रेड डाली तो 1 करोड़ 6 लाख की नकदी मिली. जिसका कोई भी हिसाब किताब नहीं था. इसके साथ ही आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल डिवाईस प्राप्त हुए हैं. लगभग 140 करोड़ रूपये की अवैध वसूली राईस मिलर्स से अधिकारियों ने की. इस मामले में छत्तीसगढ़ स्टेट राईस मिलर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट कैलाश रूंगटा, वाईस प्रेसीडेंट पारसमल चोपड़ा और कोषाध्यक्ष रोशन चन्द्राकर के साथ मिलकर अपराध किया गया.