नई दिल्ली: मशहूरलोक गायिका पद्म भूषण शारदा सिन्हा का निधन हो गया है. रात 9.20 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली. एम्स की चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर निरुपम मदान ने इसकी जानकारी दी. दिल्ली एम्स में उनका इलाज चल रहा था. उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था. शारदा सिन्हा के पुत्र अंशुमान सिन्हा ने निधन से पहले जानकारी दी थी कि उनकी मां को वेंटिलेटर पर रखा गया है और अब उनके चाहने वालों की दुआ की जरूरत है.
परिवार ने जानकारी दी कि शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर बिहार के पटना ले जाया जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. उनके बेटे ने बताया कि वे अपने पिता के अंतिम संस्कार स्थल पर ही मां का अंतिम संस्कार करेंगे. शारदा सिन्हा का संगीत और आवाज हमेशा भारतीय लोक संगीत में अमर रहेगा, और वे लाखों लोगों के दिलों में जीवित रहेंगी.मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन पर उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने कहा, "यह हमारे लिए दुख की घड़ी है... वह छठ पूजा के पहले दिन हमें छोड़कर चली गईं... वह हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगी."
25 अक्टूबर से एम्स में थी भर्तीः शारदा सिन्हा साल 2017 से Multiple Myeloma की बीमारी से ग्रस्त हैं. बीते 25 अक्टूबर को तबीयत बिगड़ने पर एम्स के कैंसर सेंटर मेडिकल आंकालोजी वार्ड में भर्ती कराया गया था. मेडिकल आंकोलाजी विभाग के डॉक्टर की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था.
शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 में सुपौल जिले के हुलसा गांव में हुआ. उन्होंने बीएड और संगीत से एमए किया हुआ है. शारदा सिन्हा का ससुराल बेगूसराय जिले के सिहमा गांव में है. शारदा सिन्हा हमेशा से छठ पूजा के गीतों से जुड़ी रही हैं. उन्होंने केलवा के पात पर उगेलन सूरजमल झुके झुके और सुनअ छठी माई जैसे कई लोकप्रिय छठ गीत गाए हैं.
विवरण के अनुसार लोकगायिका शारदा सिन्हा का निधन मंगलवार रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में हुआ. वे 72 वर्ष की थीं और लंबे समय से बीमार चल रही थीं. मंगलवार रात 9:20 बजे उनका निधन हो गया. शारदा सिन्हा छठ पूजा के गीतों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध थीं. उनका निधन नहाय-खाय के दिन हुआ, जो छठ पूजा के पहले व्रत का दिन होता है.