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MBBS छात्रों से SC ने किए सवाल, पूछा- क्या राष्ट्र निर्माण का कोई दायित्व नहीं? - sc Questions Medical students

SC Questions Pvt Medical Graduates: क्या स्नातक करने वाला कोई मेडिकल छात्र सिर्फ इसलिए एक साल की सार्वजनिक ग्रामीण सेवा प्रदान करने से छूट मांग सकता है, क्योंकि उसने एक निजी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई की है? यह प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीएस नरसिम्हा और संजय करोल की अवकाश पीठ की ओर से आया. पीठ पांच एमबीबीएस छात्रों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

Supreme Court of India
सुप्रीम कोर्ट (IANS File Photo)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 22, 2024, 10:50 PM IST

Updated : May 23, 2024, 6:31 AM IST

नई दिल्ली:भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निजी संस्थानों से स्नातक करने वाले मेडिकल छात्रों के लिए अनिवार्य ग्रामीण सेवा से छूट के संबंध में एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया. यह प्रश्न न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय करोल की अवकाश पीठ के सत्र के दौरान उठा, जो कर्नाटक के एक डीम्ड विश्वविद्यालय से स्नातक कर रहे पांच एमबीबीएस छात्रों की याचिका पर विचार कर रहे थे.

पीठ ने सवाल उठाया, 'क्या कोई मेडिकल छात्र, जो स्नातक होने वाला है, सिर्फ इसलिए एक साल की सार्वजनिक ग्रामीण सेवा प्रदान करने से छूट मांग सकता है, क्योंकि उन्होंने एक निजी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई की है?'. छात्रों की याचिका पर कर्नाटक सरकार और अन्य को नोटिस जारी करते हुए पीठ ने कहा, 'सिर्फ इसलिए कि आप एक निजी संस्थान में जाते हैं और पढ़ते हैं, क्या आपको ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने से छूट है?'. पीठ ने कहा, 'आप भारत में आते-जाते हैं और विभिन्न ग्रामीण इलाकों में काम करते हैं. यह बहुत सुंदर काम है'.

पीठ ने छात्रों के वकील से सवाल किया कि क्या निजी संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों पर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का कोई दायित्व नहीं है. वकील मीनाक्षी कालरा के माध्यम से दायर याचिका में कर्नाटक मेडिकल काउंसिल को याचिकाकर्ताओं के स्थायी पंजीकरण को स्वीकार करने का निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में दलील दी गई कि कर्नाटक सरकार ने मेडिकल पाठ्यक्रम पूरा करने वाले अभ्यर्थियों द्वारा कर्नाटक अनिवार्य सेवा प्रशिक्षण अधिनियम, 2012 लागू किया था. फिर बाद में मेडिकल पाठ्यक्रम पूरा करने वाले अभ्यर्थियों द्वारा कर्नाटक अनिवार्य सेवा प्रशिक्षण नियम, 2015 लागू किया था.

याचिका में कहा गया है कि अधिनियम और नियमों का संयुक्त प्रभाव, 'प्रत्येक एमबीबीएस स्नातक, प्रत्येक स्नातकोत्तर (डिप्लोमा या डिग्री) और प्रत्येक सुपर स्पेशियलिटी उम्मीदवार, जिन्होंने सरकारी विश्वविद्यालय या सरकारी विश्वविद्यालय में अध्ययन का अपना पाठ्यक्रम किया है, को अनिवार्य बनाता है. एक निजी/डीम्ड विश्वविद्यालय में सीट, कर्नाटक मेडिकल काउंसिल के साथ स्थायी पंजीकरण के लिए पात्र होने से पहले एक वर्ष की अनिवार्य सार्वजनिक ग्रामीण सेवा प्रदान करने का अनिवार्य दायित्व पूरा करना होगा'. याचिकाकर्ताओं ने कर्नाटक सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सेवाओं के आयुक्तालय को यह निर्देश देने की मांग की कि उन्हें अनिवार्य ग्रामीण सेवा का शपथ पत्र दिए बिना आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी किया जाए.

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Last Updated : May 23, 2024, 6:31 AM IST

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