देहरादून (उत्तराखंड):ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग को लेकर देशभर की यात्रा पर हैं. इसी कड़ी में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद देहरादून पहुंचे. जहां उन्होंने ईटीवी भारत उत्तराखंड ब्यूरो चीफ किरणकांत शर्मा से कई मुद्दों पर खास बातचीत की. उन्होंने गाय, उत्तरकाशी मस्जिद विवाद, केदारनाथ सोना विवाद समेत देश के अन्य मुद्दों पर भी खुलकर बातचीत की. वहीं, शंकराचार्य मानते हैं कि जब तक गाय को राष्ट्रमाता घोषित नहीं किया जाएगा, तब तक देश के हिंदुओं के साथ भला नहीं होगा.
सत्ता पक्ष और विपक्ष के सीएम करना चाहते हैं ये काम:शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि वो पूरे देश में घूम रहे हैं. इस यात्रा के दौरान ऐसा नहीं है कि उनसे सत्ता पक्ष के लोग नहीं मिल रहे हैं. बल्कि, कई राज्यों के मुख्यमंत्री उन्हें फोन या पत्र लिखकर बातचीत करने के लिए कह चुके हैं. वो अपने राज्यों में गाय को राज्य माता घोषित भी करना चाहते हैं, लेकिन उनका कहना है कि उनके ऊपर वाले नेता इस बात के लिए राजी नहीं है. यानी सत्ता में कोई ऐसा बैठा है, जो गाय को राष्ट्रमाता नहीं बनाना चाहता है.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि लोग सिर्फ गाय के साथ फोटो खिंचवाकर या वीडियो बनाकर शेयर कर रहे हैं. जबकि, इन कामों से गाय का भला नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जब वे उत्तर-पूर्व के राज्यों में गए तो वहां के लोगों ने उनसे पूछा कि आप पूरे देश में घूम रहे हैं. जबकि, आपके उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सरकार ने अब तक कोई भी कदम नहीं उठाया है. इस पर उनके पास कोई जवाब नहीं होता है. ऐसे में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार इस काम में आगे आएं और इन सवालों के जवाब भी दें.
सीएम धामी ये काम करेंगे तो देंगे भरपूर आशीर्वाद:शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को संदेश भेजते हुए कहा है कि वो ये चाहते हैं कि उत्तराखंड सरकार इस काम यानी गाय को राज्य माता घोषित करने के काम को आगे बढ़ाए. अगर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ऐसा करते हैं तो वो उनके प्रशंसक रहेंगे और दिल से हृदय से उन्हें अपना आशीर्वाद देंगे.
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने लोगों से की ये अपील:शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने खुले मंच से लोगों से अपील कर रहे हैं कि जो सरकार या नेता इस काम में आगे आता है तो लोग उसी को वोट करें. अपनी यात्रा के दौरान हर संबोधन में वो यही जिक्र भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि दिसंबर महीने में वो एक बड़ा आयोजन करवाने जा रहे हैं, जिसमें लगभग 11 लाख लोग शामिल होंगे. ये भीड़ इसलिए आएगी ताकि ये बताया जा सके कि लोगों की भावना क्या है, वो कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं करना चाहता हैं. वो सत्ता के लिए ये सब नहीं कर रहे हैं, वो चाहते कि सरकार लोगों की भावनाओं को समझें.
केदारनाथ सोना विवाद पर शंकराचार्य दिखे बदले-बदले: हालांकि, केदारनाथ धाम सोना विवाद को लेकर पूछे गए सवाल पर शंकराचार्य पहले की तरह भूमिका में नहीं दिखाई दिए. उन्होंने कहा कि किसी भी बात को जानना पहचाना या किसी भी मुद्दे तक पहुंचाने का सबसे बड़ा जरिया मीडिया होता है. मीडिया के माध्यम से ही उन्हें यह पता लगा कि केदारनाथ से सोना गायब हुआ है. अब अगर मीडिया सही नहीं कह रही है तो कम से कम सरकार को उस वक्त आगे आना चाहिए था.