नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और यूटी से जेलों में क्वीर समुदाय (LGBTQ+) के सदस्यों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा सुनिश्चत करने को कहा है. मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा है कि जेलों में क्वीर समुदाय (LGBTQ+) के सदस्यों को अक्सर उनकी लिंग पहचान या यौन अभिविन्यास के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ता है. उनका अनादर किया जाता है और उनके साथ हिंसक बर्ताव भी होता है. गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और यूटी से कहा है कि वे सुनिश्चित करेंगे की क्वीर समुदाय के साथ ऐसा ना हो. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि जेल में मिलने वाली सुविधाओं और सामानों के वितरण में उनके साथ कोई भेद भाव ना हो.
प्रमुख सचिव (गृह मंत्रालय) ने राज्यों और यूटी के डीजी और डीआईजी को पत्र लिखा है. गृह मंत्रालय ने उन्हें सभी स्तरों पर संबंधित अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए भी कहा है. पत्र में कहा गया है कि सभी व्यक्तियों के साथ निष्पक्ष और समान व्यवहार किया जाए.
ईटीवी भारत के पास उस पत्र की एक कॉपी है जिसमें कहा गया है कि एमएचए ने 2023 में 'मॉडल जेल मैनुअल, 2016' और एक 'मॉडल जेल और सुधारात्मक सेवा अधिनियम' तैयार किया है. जिसे सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया था.