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चुनावी बॉण्ड मामला: SBI की अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट - Electoral bond case

Electoral bond case- सुप्रीम कोर्ट सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक आवेदन पर सुनवाई करने के लिए तैयार है, जिसमें योजना के हालिया रद्दीकरण से पहले राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक विस्तार की मांग की गई है. पढ़ें पूरी खबर...

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

By PTI

Published : Mar 10, 2024, 2:02 PM IST

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा. बता दें कि एसबीआई ने चुनावी बॉण्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए समय-सीमा 30 जून तक बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी. इसमें राजनीतिक दलों द्वारा कैश आउट कराए गए प्रत्येक चुनावी बॉण्ड के विवरण देना शामिल है.

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ एक अलग याचिका पर भी सुनवाई करेगी, जिसमें एसबीआई के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया है. इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि एसबीआई ने चुनावी बॉण्ड के जरिये राजनीतिक दलों को मिले चंदे का विवरण निर्वाचन आयोग को छह मार्च तक सौंपे जाने संबंधी शीर्ष अदालत के निर्देश की जानबूझकर’अवज्ञा की है.

सोमवार के लिए निर्धारित शीर्ष अदालत की मामलों की सूची के अनुसार, पीठ इन दोनों याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुबह साढ़े 10 बजे बैठेगी. पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल हैं.

उच्चतम न्यायालय ने गत 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसले में, चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर दिया था और इसे असंवैधानिक करार देते हुए निर्वाचन आयोग को चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का 13 मार्च तक खुलासा करने का आदेश दिया था.

योजना को तुरंत बंद करने का आदेश देते हुए, शीर्ष अदालत ने योजना के तहत अधिकृत बैंक एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से खरीदे गए चुनावी बॉण्ड का विवरण छह मार्च तक निर्वाचन आयोग को सौंपने का निर्देश दिया था. साथ ही, आयोग को अपनी वेबसाइट पर 13 मार्च तक यह जानकारी प्रकाशित करने को कहा था. एसबीआई ने चार मार्च को राजनीतिक दलों द्वारा भुनाये गए चुनावी बॉण्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक समय बढ़ाने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.

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