बोलपुर (पश्चिम बंगाल): नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के प्रयासों को कुछ हद तक विफल कर दिया गया है. सेन ने हाल ही में लागू की गई भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि संविधान में बदलाव के लिए संसद में जो चर्चा होनी चाहिए थी, वह नहीं हुई. उन्होंने मणिपुर को लेकर भी केंद्र सरकार की आलोचना की.
पश्चिम बंगाल के बोलपुर में एक निजी होटल में 'प्रतीची ट्रस्ट (इंडिया)' की ओर से 'स्कूल क्यों जाएं: सहयोग के सरल सबक' विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए अमर्त्य सेन ने कहा कि शिक्षा पर जोर दिए बिना बेरोजगारी की समस्या का समाधान नहीं हो सकता. अफसोस की बात यह है कि इस पर जोर नहीं दिया जा रहा है.
लोकसभा चुनाव के नतीजों पर बोलते हुए वरिष्ठ अर्थशास्त्री सेन ने कहा कि चर्चा स्कूलों तक भी पहुंची कि भारत को हिंदू राष्ट्र कैसे बनाया जाए. लेकिन हमें यह जानने की जरूरत है कि बच्चों में हिंदू और मुसलमान के बीच कोई अंतर नहीं है. इसलिए हमारे देश में लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के प्रयास को रोक दिया. देश के लोगों ने इसे स्वीकार नहीं किया. यही वजह है कि अयोध्या में एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी के उम्मीदवार ने, जहां एक बड़ा मंदिर बनाया गया था, हिंदू राष्ट्र बनाने के पक्ष वाले उम्मीदवार को हरा दिया. उन्होंने कहा कि भारत बिल्कुल भी धर्मनिरपेक्ष देश नहीं है, बल्कि कई धर्मों का देश है.