नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र की बर्खास्त ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. जस्टिस चंद्रधारी सिंह की बेंच ने पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यूपीएससी के साथ फर्जीवाड़े का आरोप सही प्रतीत होता है. पूजा खेडकर दिव्यांग और ओबीसी कैटेगरी में लाभ की हकदार नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि यूपीएससी को एक प्रतिष्ठित परीक्षा माना जाता है. यह विचाराधीन घटना न केवल एक संगठन के खिलाफ, बल्कि बड़े पैमाने पर समाज के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रतिनिधित्व करती है. अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि इसमें शामिल साजिश का पर्दाफाश करने के लिए पूछताछ जरूरी है. इसके परिणामस्वरूप, अदालत ने कहा कि याचिका खारिज कर दी गई है और पूजा खेडकर को दी गई अंतरिम सुरक्षा भी रद्द कर दी गई है.
झूठा बयान दिया गया: इससे पहले कोर्ट ने 28 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. मामले में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने भी याचिका दायर कर पूजा खेडकर पर कोर्ट में झूठा हलफनामा दाखिल करने का आरोप लगाया था. यूपीएससी ने कहा था कि पूजा खेडकर की ओर से जो जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया, उसमें झूठा बयान दिया गया है यूपीएससी ने उसके बायोमेट्रिक्स इकट्ठे किए. ऐसे में पूजा खेडकर का हलफनामा झूठा है. पूजा खेडकर ने झूठा हलफनाम इसलिए दिया, ताकि अपने पक्ष में फैसला करवाया जा सके.
ट्रेनिंग पर लगाई गई रोक: दरअसल, पूजा खेडकर ने पटियाला हाउस कोर्ट की ओर से अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. वह प्रोबेशन के दौरान अवैध मांग करने को लेकर विवादों में घिर गई थीं. इसके बाद कलेक्टर सुहास दिवासे ने पूजा खेडकर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. विवाद बढ़ने के बाद पूजा खेडकर पर महाराष्ट्र सरकार ने कार्रवाई करते हुए उनकी ट्रेनिंग पर रोक लगा दी थी और फील्ड पोस्टिंग से हटाकर मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) में रिपोर्ट करने का आदेश दिया था. लेकिन वो तय समय पर एलबीएसएनएए नहीं पहुंचीं थी.
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