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उत्तराखंड में देश की पहली योग नीति पर चर्चा जारी, योग शिक्षण संस्थान खोलने के लिए मिलेंगे ₹20 लाख

योग नीति में योग, नेचुरोपैथी, अध्यात्म के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप होगा, उत्तराखंड को 'आयुष हब' बनाने की तैयारी

UTTARAKHAND YOGA POLICY
शिव मूर्ति ऋषिकेश (Photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 5 hours ago

Updated : 15 minutes ago

देहरादून: उत्तराखंड में दिसंबर महीने में आयोजित होने जा रहे अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन की तैयारियां जोरों से चल रही हैं. संभावना जताई जा रही है कि इस सम्मेलन से पहले राज्य की पहली योग पॉलिसी लागू हो सकती है. दरअसल, साल 2023 से ही आयुष विभाग प्रदेश के लिए योग नीति तैयार करने पर काम कर रहा है.

उत्तराखंड बना रहा योग नीति: आयुष विभाग योग नीति का मसौदा तैयार कर शासन को परीक्षण के लिए भेज चुका है. मुख्य रूप से इस योग पॉलिसी में प्रदेश के भीतर योग संबंधित विधाओं को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया है. ऐसे में योग पॉलिसी को धरातल पर उतरने में कितना समय लग सकता है, योग पॉलिसी में क्या रहने वाले है खास प्रावधान? इसके बाद में आपको बताते हैं.

पहली योग नीति पर चर्चा जारी (Video- ETV Bharat)

योग नीति पर चर्चाओं का दौर जारी: उत्तराखंड स्थित ऋषिकेश को योग की नगरी कहा जाता है. इसके साथ ही योग नगरी ऋषिकेश को विश्व की योग राजधानी का दर्जा दिया गया है. ऐसे में जहां एक ओर उत्तराखंड सरकार प्रदेश को आयुष हब के रूप में विकसित करना चाहती है, तो वहीं सरकार योग पॉलिसी भी तैयार कर रही है. ताकि योग के जरिए न सिर्फ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके, बल्कि योग केंद्रों को भी प्रदेश में बढ़ावा दिया जा सके. ऐसे में आयुष विभाग ने योग पॉलिसी तैयार की है. इसका शासन स्तर पर परीक्षण चल रहा है. शासन स्तर से सहमति मिलने और वित्त विभाग की मंजूरी के बाद योग पॉलिसी को लागू कर दिया जाएगा.

ऐसा होगा योग नीति का इंफ्रास्ट्रक्चर: बता दें कि आयुष विभाग साल 2023 से योग नीति तैयार कर रहा है. योग नीति तैयार करने के लिए विभाग ने आयुर्वेद विशेषज्ञों के साथ ही तमाम हित कारकों से भी सुझाव मांगे थे. योग नीति का ड्राफ्ट तैयार करने के बाद विभाग ने वित्त विभाग को प्रस्ताव सौंप दिया था. वित्त विभाग ने नीति में किए गए कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए दोबारा प्रस्ताव मांगा था. ऐसे में विभाग ने योग नीति प्रस्ताव में संशोधन कर शासन को भेज दिया है, जिस पर चर्चाएं चल रही हैं. योग नीति में योग, नेचुरोपैथी, अध्यात्म के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप होगा. इसके अलावा योग पॉलिसी आने के बाद प्रदेश में मौजूद सभी योग केंद्रों का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा. साथ ही केंद्र सरकार के योग सर्टिफिकेशन बोर्ड से तमाम योग कोर्स करने पर फीस के प्रतिपूर्ति की व्यवस्था भी नीति में की जाएगी.

अभी चल रही ये कवायद: अपर सचिव आयुष डॉ विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि प्रदेश में योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में काफी अधिक संभावनाएं हैं. लिहाजा, योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए जो भी संस्थाएं काम कर रही हैं, उनमें एकरूपता लाने, योग के ट्रेनिंग को बेहतर करने के लिए योग नीति पर काम किया जा रहा है. जोगदंडे ने कहा कि योग नीति संबंधित जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है, उस पर चर्चा की जा रही है. योग नीति का ड्राफ्ट तैयार होने के बाद, अनुमति के लिए शासन में प्रस्तुत किया जाएगा.

योग नीति से बढ़ेगा रोजगार: डॉ विजय जोगदंडे ने कहा कि प्रदेश के जो पर्यटन स्थल हैं और जो नए पर्यटन स्थल विकसित हो रहे हैं, उनके आसपास योग और आयुर्वेद को भी विकसित किया जाए. इसके साथ ही वेलनेस के क्षेत्र में भी संभावनाएं बढ़ती जा रही हैं. इसको देखते हुए योग से संबंधित मानक को बेहतर करने, योग संबंधित शिक्षण संस्थानों में एकरूपता लाने, रोजगार के लिहाज से आम जनता को योग के प्रति प्रोत्साहित करने समेत तमाम महत्वपूर्ण बिंदुओं को योग नीति में समाहित किया जाएगा.

योग शिक्षण संस्थान खोलने के लिए मिलेगी प्रोत्साहन राशि: अपर सचिव आयुष ने बताया कि योग नीति तैयार होने के बाद योग शिक्षण संस्थाओं में एकरूपता लाने के साथ ही संस्थाओं को व्यवस्थित करने का काम किया जाएगा. इसके साथ ही योग शिक्षण संस्थान खोलने के लिए करीब 20 लाख रुपए तक की प्रोत्साहन राशि का प्रावधान, संस्थानों के मानकीकरण का प्रावधान किया जाएगा. इसके अलावा, जो विदेशी व्यक्ति योग को अपनाना चाहते हैं और प्रदेश में प्रशिक्षण लेना चाहते हैं, उनको आसानी से प्रशिक्षण मिल सके, इसका भी प्रावधान योग नीति में किया जाएगा.
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