नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के 'पिंकी अंकल' अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें हैं. दरअसल, उनकी भेलपुरी के हजारों दीवाने थे, 17 नवंबर को सुनील सेठी उर्फ 'पिंकी अंकल' दुनिया को अलविदा कह गए. डीयू स्टूडेंट्स के लिए नॉर्थ कैंपस के कैंपस लॉ सेंटर की पुरानी इमारत के किनारे का एक खास कॉर्नर सूना हो गया. उनकी भेलपुरी की प्लेट के ही नहीं, स्टूडेंट्स उनके मजाकिया अंदाज के भी फैन थे.
डीयू के हिंदी विभाग के प्रोफेसर एके सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय में कई पीढ़ियों को भेलपूरी खिलाने वाले सुनील सेठी एक दुकानदार से ज्यादा डीयू परिवार का हिस्सा थे. विश्वविद्यालय के हेल्थ सेंटर के पास वे सन् 1983 से भेलपुरी की रेहड़ी लगाते आ रहे थे. उनकी रेहड़ी के पर रोज छात्रों की भीड़ लगा करती थी. उनकी भेलपुरी के साथ-साथ उनकी चुटीली बातें और मजेदार संवाद, सभी को अपनी ओर खींच लाते थे.
भेलपूरी ही नही, बातचीत भी निराली:उन्होंने कहा, यह रेहड़ी छात्रों को मीटिंग प्वाइंट हुआ करती थी, कई प्रेम कहानियों की यहीं से शुरुआत हुई. बीए प्रथम वर्ष से प्रोफेसर बनने के लंबे सफर दौरान उनकी भेलपूरी का आनंद लिया. उनकी स्वादिष्ट भेलपूरी के साथ उनकी बातचीत भी निराली थी. जब वे भेलपुरी को चटनी में मिलाते थे और कोई उनसे पूछता था कि वह क्या कर रहे हैं तो वह कहते, "पागल बना रहा हूं." वहीं जब उनकी चटनी के बारे मे कोई पूछता तो वे कहते, "बताने के पैसे लगते हैं, पहले पैसे दो, फिर बताऊंगा." उनका यही मजाकिया अंदाज लोगों को अपनी ओर खींचता था.