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DU के मशहूर 'पिंकी अंकल' के भेलपूरी के ठेले पर लगते थे ठहाके, स्वाद के क्या कहने! प्रोफेसर ने बताई कहानी - DU BHELPURI SELLER PINKI UNCLE

- करीब 40 साल से भेलपुरी बेचते थे सुनील सेठी उर्फ 'पिंकी अंकल'. - स्वाद के साथ मजेदार बातें लुभाती थीं लोगों को.

डीयू के 'पिंकी अंकल'
डीयू के 'पिंकी अंकल' (Etv Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 1, 2024, 9:57 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के 'पिंकी अंकल' अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें हैं. दरअसल, उनकी भेलपुरी के हजारों दीवाने थे, 17 नवंबर को सुनील सेठी उर्फ 'पिंकी अंकल' दुनिया को अलविदा कह गए. डीयू स्टूडेंट्स के लिए नॉर्थ कैंपस के कैंपस लॉ सेंटर की पुरानी इमारत के किनारे का एक खास कॉर्नर सूना हो गया. उनकी भेलपुरी की प्लेट के ही नहीं, स्टूडेंट्स उनके मजाकिया अंदाज के भी फैन थे.

डीयू के हिंदी विभाग के प्रोफेसर एके सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय में कई पीढ़ियों को भेलपूरी खिलाने वाले सुनील सेठी एक दुकानदार से ज्यादा डीयू परिवार का हिस्सा थे. विश्वविद्यालय के हेल्थ सेंटर के पास वे सन् 1983 से भेलपुरी की रेहड़ी लगाते आ रहे थे. उनकी रेहड़ी के पर रोज छात्रों की भीड़ लगा करती थी. उनकी भेलपुरी के साथ-साथ उनकी चुटीली बातें और मजेदार संवाद, सभी को अपनी ओर खींच लाते थे.

सुनील सेठी, जिनको प्यार से छात्र 'पिंकी अंकल' बुलाते थे. (ETV Bharat)

भेलपूरी ही नही, बातचीत भी निराली:उन्होंने कहा, यह रेहड़ी छात्रों को मीटिंग प्वाइंट हुआ करती थी, कई प्रेम कहानियों की यहीं से शुरुआत हुई. बीए प्रथम वर्ष से प्रोफेसर बनने के लंबे सफर दौरान उनकी भेलपूरी का आनंद लिया. उनकी स्वादिष्ट भेलपूरी के साथ उनकी बातचीत भी निराली थी. जब वे भेलपुरी को चटनी में मिलाते थे और कोई उनसे पूछता था कि वह क्या कर रहे हैं तो वह कहते, "पागल बना रहा हूं." वहीं जब उनकी चटनी के बारे मे कोई पूछता तो वे कहते, "बताने के पैसे लगते हैं, पहले पैसे दो, फिर बताऊंगा." उनका यही मजाकिया अंदाज लोगों को अपनी ओर खींचता था.

जब भावुक हुए पिंकी अंकल: प्रो. एके सिंह ने आगे बताया, 2021 में मैं उनके पास गया था उनकी भेलपूरी की आनंद लिया था. साथ ही पिंकी अंकल के लिए भी एक प्लेट भेलपूरी यह कहते हुई बनवाई की "आप सबको खिलाते हैं, पर आपको कोई नहीं खिलाता." इस बात पर वे भावुक हो गए थे. अब, जब पिंकी अंकल हमारे बीच नहीं हैं, तो जब भी मैं वहां से गुजरता हूं, मुझे उनका ठिया न देखकर एक खालीपन सा लगता है. उनकी यादें और उनकी भेलपुरी का स्वाद लोगों के दिलों में हमेशी जीवित रहेगा. इन दिनों उनके निधन की बात जानकर रेहड़ी पर आने वाले लोगों के चेहरे पर मायूसी छा जा रही है.

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