नई दिल्ली: राजधानी में ओडिशा की युवती के साथ गैंगरेप की घटना ने लोगों को निर्भया कांड की याद दिला दी थी. इस मामले में अब भी नई जानकारियां सामने आ रही हैं. 10 अक्टूबर की रात घटी इस घटना की जानकारी 11 अक्टूबर तड़के दी गई थी, जिसके बाद पीड़िता को एम्स में भर्ती कराया गया था. लेकिन, समस्या यह थी कि पीड़िता मानसिक बीमारी के कारण घटना के बारे में विस्तृत जानकारी न दे पाने के साथ जांच में सहयोग भी नहीं कर पा रही थी. तब पुलिस ने एक तरकीब निकाली, जिससे मामले में कई खुलासे हुए.
दरअसल, आरोपियों तक पहुंचने के लिए एम्स प्रबंधन से विशेष अनुमति लेकर महिला पुलिस अधिकारी को बतौर नर्स दुष्कर्म पीड़िता की देखभाल के लिए लगाया गया. इसके बाद महिला दुष्कर्म के आरोपियों के बारे में कुछ जानकारी बताई. उस जानकारी के आधार पर 21 दिन की कड़ी मेहनत के बाद दिल्ली पुलिस दुष्कर्म के तीनों आरोपियों तक पहुंच सकी. महिला का अभी भी दिल्ली एम्स में इलाज चल रहा है.
प्रारंभिक बयान पर शुरू हुई जांच: डीसीपी-दक्षिण पूर्व दिल्ली रवि कुमार सिंह के मुताबिक, 11 अक्टूबर की तड़के करीब 3:15 बजे घटना के बारे में पीसीआर कॉल प्राप्त हुई. इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस को युवती व्यथित अवस्था में मिली. उसे तुरंत चिकित्सा परीक्षण और इलाज के लिए एम्स ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया गया. पीड़िता ने डॉक्टर को बताया कि तीन अज्ञात व्यक्तियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया है. इस प्रारंभिक बयान के बाद पीड़िता अपनी मानसिक बीमारी के कारण जांच में आगे सहयोग नहीं कर सकी. पीड़िता बयान के लिए अयोग्य पाई गई. लेकिन, पीड़िता के प्रारंभिक बयान के आधार पर सनलाइट कॉलोनी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई.
जांच के लिए गठित की गई 10 टीमें: पीड़िता मूल रूप से ओडिशा की रहने वाली थी. ओडिशा के मुख्यमंत्री ने भी इस घटना पर संज्ञान लिया और आरोपियों को जल्द पड़कने की मांग की. राजनीतिक दबाव भी बना. युवती से दुष्कर्म करने वालों की कोई विशेष जानकारी दिल्ली पुलिस के पास नहीं थी. सिर्फ इतना ही पता था कि युवती से ऑटो में तीन लोगों ने दुष्कर्म किया है. डीसीपी रवि कुमार सिंह ने बताया कि घटना के अनावरण के लिए पुलिस की 10 टीमें बनाई गईं, जिसमें कई दरोगा और महिला अधिकारियों को भी शामिल किया गया. सभी टीमों ने जांच शुरू की लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी.
बतौर नर्स काम कर जुटाई जानकारी:पुलिस के मुताबिक, एम्स ट्रॉमा सेंटर प्रबंधन से विशेष अनुमति लेकर महिला पुलिस अधिकारी संगीता को पीड़िता की देखभाल करने के लिए नियुक्त किया गया, जिससे पीड़िता का विश्वास जीता जा सके और उससे महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई जा सके. संगीता ने उसका विश्वास जीता और पीड़िता से कई महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की. जैसे कि तीन व्यक्ति में से एक दिव्यांग था. हालांकि पीड़िता अपनी मानसिक स्वास्थ्य के चुनौतियों के कारण घटना के समय व स्थान समेत अन्य महत्वपूर्ण विवरण बताने में असमर्थ थी. हालांकि उसकी बात से पुलिस की जांच को थोड़ी दिशा मिली.
700 फुटेज खंगालकर ऑटो चालक तक पहुंची पुलिस:डीसीपी रवि कुमार सिंह के मुताबिक, पीड़िता सराय काले खां इलाके में मिली थी. इसके बाद सराय काले खां से लेकर पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन तक प्रमुख और छोटी सड़कों पर लगे 700 से अधिक सरकारी व निजी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज पुलिस ने खंगाली. सीसीटीवी फुटेज में पुलिस ने पाया कि पीड़िता 10 अक्टूबर सुबह 10:14 बजे पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के वेटिंग हॉल से बाहर निकली थी.