नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति मामले में कथित घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. केजरीवाल ने ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी. हालांकि, शीर्ष अदालत ने उन्हें नियमित जमानत लेने के लिए निचली अदालत में जाने की छूट दे दी.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी और प्रवर्तन निदेशालय का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. अपना फैसला सुरक्षित रखने के बाद पीठ ने आप नेता को जमानत के लिए निचली अदालत में जाने की छूट दे दी.
बेंच ने कहा, 'दलीलें सुनी गईं. फैसला सुरक्षित. इसके बावजूद, और अधिकारों और विवादों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, अपीलकर्ता कानून के अनुसार जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट में जा सकता है.'
पीठ ने 30 अक्टूबर, 2023 के बाद दर्ज की गई केस फाइलों और गवाहों और आरोपियों के बयानों की जांच की. जिस दिन इस मामले में आरोपी वरिष्ठ 'आप' नेता मनीष सिसौदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. सिसोदिया कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग दोनों मामलों में आरोपी हैं.
'हवाला के जरिए पैसे भेजे जाने के सबूत' :सुनवाई के दौरान, प्रवर्तन निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह आज ट्रायल कोर्ट के समक्ष दिल्ली शराब नीति मामले में एक और आरोप पत्र दाखिल करेगा, जहां वह AAP को आरोपी के रूप में नामित करेगा. एसवी राजू ने तर्क दिया कि हवाला चैनलों के माध्यम से 'आप' को पैसा भेजे जाने के सबूत हैं.
पीठ ने सवाल किया कि क्या गिरफ्तारी के लिए लिखित रूप में दर्ज 'विश्वास करने के कारणों' में इसका उल्लेख किया गया था? ईडी के वकील ने जवाब दिया कि उन्होंने इसे विश्वास करने के कारणों में नहीं बताया है और कहा कि इन पहलुओं को 'विश्वास करने के कारणों' में बताने की आवश्यकता नहीं है.