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मानहानि मामले में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 5 महीने की सजा, फिलहाल 30 दिनों की रोक - Medha Patkar to imprisonment - MEDHA PATKAR TO IMPRISONMENT

Medha Patkar: LG वीके सक्सेना के मानहानि मामले में साकेत कोर्ट ने मेधा पाटकर को 5 महीने कैद की सजा सुनाई है. साथ ही 10 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने मेधा पाटकर को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दोषी करार दिया था.

मेधा पाटकर की सजा पर फैसला आज
मेधा पाटकर की सजा पर फैसला आज (Source: ETV BHARAT)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 1, 2024, 10:46 AM IST

Updated : Jul 1, 2024, 5:57 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली की साकेत कोर्ट ने दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दी गई नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को पांच महीने की कैद की सजा सुनाई है. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने मेधा पाटकर को वीके सक्सेना को दस लाख रुपए जुर्माना देने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अधिकतम सजा दो साल की होती है, लेकिन मेधा पाटकर के स्वास्थ्य को देखते हुए पांच महीने की सजा दी जाती है. कोर्ट ने इस सजा पर 30 दिनों तक निलंबित रखने का भी आदेश दिया.

इससे पहले कोर्ट ने 7 जून को सजा की अवधि पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, 30 मई को शिकायतकर्ता वीके सक्सेना की ओर से पेश वकील ने मेधा पाटकर को अधिकतम सजा देने की मांग की थी. भारतीय दंड संहिता में आपराधिक मानहानि के मामले में अधिकतम दो साल की कैद की सजा का प्रावधान है. 24 मई को साकेत कोर्ट ने मेधा पाटकर को दोषी करार दिया था. कोर्ट ने मेधा पाटकर को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दोषी करार दिया था, कोर्ट ने कहा था कि ये साफ हो गया है कि आरोपी मेधा पाटकर ने सिर्फ प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए वीके सक्सेना के खिलाफ गलत जानकारी के साथ आरोप लगाए.

साल 2000 का है मामलाः25 नवंबर 2000 को मेधा पाटकर ने अंग्रेजी में एक बयान जारी कर वीके सक्सेना पर हवाला के जरिये लेनदेन का आरोप लगाया था और उन्हें कायर कहा था. मेधा पाटकर ने कहा था वीके सक्सेना गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहे थे. ऐसा बयान वीके सक्सेना की ईमानदारी पर सीधा-सीधा हमला था.

मेधा पाटकर ने कोर्ट में दर्ज अपने बचाव में कहा था कि वीके सक्सेना वर्ष 2000 से झूठे और मानहानि वाले बयान जारी करते रहे हैं. पाटकर ने कहा था कि वीके सक्सेना ने 2002 में उन पर शारीरिक हमला भी किया था जिसके बाद मेधा ने अहमदाबाद में एफआईआर दर्ज कराया था. मेधा ने कोर्ट में कहा था कि वीके सक्सेना कारपोरेट हितों के लिए काम कर रहे थे और वे सरदार सरोवर प्रोजेक्ट का विरोध करने वालों की मांग के खिलाफ थे.

2001 में मेधा पाटकर पर केस हुआ था दर्जःमेधा पाटकर के खिलाफ वीके सक्सेना ने आपराधिक मानहानि का केस अहमदाबाद की कोर्ट में 2001 में दायर किया था. गुजरात के ट्रायल कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था, बाद में 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई गुजरात से दिल्ली के साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिय था. मेधा पाटकर ने 2011 में अपने को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही. वीके सक्सेना ने जब अहमदाबाद में केस दायर किया था उस समय वो नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे.

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Last Updated : Jul 1, 2024, 5:57 PM IST

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