पटना: बिहार के जाने माने नेता पूर्व डिप्टी सीएम का निधन ब्लैडर कैंसर के कारण हो गया. सुशील मोदी काफी समय से इस बीमारी से ग्रसित थे. इनका इलाज दिल्ली एम्स में चल रहा था लेकिन सोमवार की शाम 72 साल की उम्र में इनका निधन हो गया. सुशील मोदी ने इस बीमारी के बारे में बीते महीने जानकारी दी थी. उन्होंने सोशल मीडिया पर जानकारी दी थी कि कैंसर से पीड़ित होने के कारण वे लोकसभा चुनाव में भागीदारी नहीं निभा पाएंगे.
कितना खतरनाक होता है यह कैंसर? आखिर ये ब्लैडर कैंसर कितना खतरनाक होता है जिसके कारण इंसान की मौत हो जाती है. क्या इसका इलाज संभव नहीं है, इसके क्या लक्षण है? इन तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने बिहार के जाने माने कैंसर विशेषज्ञ दिवाकर तेजस्वी से बातचीत की. बातचीत में उन्होंने खास जानकारी दी. दिवाकर तेजस्वी ने सुशील मोदी के निधन पर दुख भी व्यक्त किया. उन्होंने बताया कि यह कैंसर कितना खतरनाक होता है?
"यह कैंसर मूत्र मार्ग के ऊपर और किडनी के नीचे होता है. हमारे शरीर में यूरिन किडनी से ही यूरिनरी ब्लैडर में आता है. ब्लैडर में कैंसर तब होता है जब मौजूद सेल्स तेजी से बढ़ने लगता है. आमतौर पर 45 से 50 की उम्र के बाद होता है. शुरुआत में पता नहीं चलना ज्यादा खतरनाक है. अधिकांश एडवांस स्टेज में पता चलता है जिस कारण इंसान की मौत हो जाती है."-दिवाकर तेजस्वी, कैंसर रोग विशेषज्ञ
क्या है इसका लक्षण? डॉ दिवाकर ने बताया कि बताया कि ब्लैडर कैंसर के कई लक्षण हैं. पेशाब में खून आना, पेशाब के दौरान दर्द और जलन, पेशाब बार-बार लगना इसका लक्षण है. ब्लैडर कैंसर हमारे शरीर में मूत्राशय के अंदर बनी कोशिकाओं से शुरू होता है और यहीं से धीरे धीरे शरीर के अन्य अंगों में फैल जाता है. अगर समय पर इसकी पहचान कर इलाज शुरू किया जाए तो खुछ हद तक इसे बढ़ने से रोका जा सकता है.
मूत्राशय में बन जाता है ट्यूमरः डॉ दिवाकर ने बताया कि ब्लैडर हमारे शरीर का वह हिस्सा होता है जहां गुर्दों से दो नालियां उतरकर एक थैली में आती है. इस हिस्से में जो भी कैंसर होता है इसे हम ब्लैडर कैंसर कहते हैं. मूत्राशय में ट्यूमर बन जाती है और सही समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो मूत्राशय का कैंसर आपके मूत्राशय के दीवारों से पास करके शरीर के अन्य हिस्से जैसे फेफड़ा हड्डी तक फैल जाता है.
लक्षण को नहीं करें नजरअंदाजः डॉ दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि भले ही यूरिनरी ब्लैडर कैंसर के मामले शुरुआती दौर में पता नहीं चल पाता है लेकिन कुछ ऐसे लक्षण है जिसको नजर अंदाज नहीं करना चाहिए. पेशाब में जलन, पेशाब से खून आना, बार-बार पेशाब लगना, अगर इस तरह की समस्या है तो डॉक्टर से तुरंत दिखाना चाहिए. ब्लैडर कैंसर का पता यूरिन और ब्लड टेस्ट से किया जाता है. एंडोस्कोपी टेस्ट जिसे सिस्टोस्कॉपी कहते हैं जो दूरबीन की मदद से जांच की जाती है.