दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

आपराधिक मानहानि मामले में मेधा पाटकर की सजा पर अदालत ने लगाई रोक,  एलजी वीके सक्सेना को नोटिस जारी - MEDHA PATKAR VK SAXENA CASE

दिल्ली की अदालत ने आपराधिक मानहानि मामले में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की सजा पर रोक लगाते हुए एलजी वीके सक्सेना को नोटिस जारी किया है.

सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर (Etv Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 29, 2024, 4:57 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दी गई सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की सजा पर अदालत ने रोक लगा दी है. साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशन जज विशाल सिंह ने ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के फैसले पर रोक लगाते हुए एलजी वीके सक्सेना को नोटिस जारी किया है. मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी.

मेधा पाटकर ने ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की ओर से दी गई पांच महीने की कैद और दस लाख रुपये के जुर्माने की सजा को सेशंस कोर्ट में चुनौती दी थी. ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने 1 जुलाई को मेधा पाटकर को सजा सुनाई थी. ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने मेधा पाटकर के स्वास्थ्य को देखते हुए पांच महीने की सजा सुनई थी. कोर्ट ने सजा को 30 दिन तक निलंबित रखने का भी आदेश दिया था.

ये भी पढ़ें: मानहानि मामले में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 5 महीने की सजा, फिलहाल 30 दिनों की रोक

कोर्ट ने मेधा पाटकर को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दोषी करार दिया था. कोर्ट ने कहा था कि ये साफ हो गया है कि मेधा पाटकर ने सिर्फ वीके सक्सेना की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए उनके खिलाफ गलत जानकारी के साथ आरोप लगाए.

मेधा पाटकर ने कोर्ट में दर्ज अपने बचाव में कहा था कि वीके सक्सेना वर्ष 2000 से झूठे और मानहानि वाले बयान जारी करते रहे हैं. पाटकर ने कहा था कि वीके सक्सेना ने 2002 में उन पर शारीरिक हमला भी किया था. जिसको लेकर मेधा ने अहमदाबाद में एफआईआर दर्ज कराई थी. मेधा ने कोर्ट में कहा था कि वीके सक्सेना कॉरपोरेट हितों के लिए काम कर रहे थे और वे सरदार सरोवर प्रोजेक्ट का विरोध करने वालों की मांग के खिलाफ थे.

बता दें कि 25 नवंबर 2000 को मेधा पाटकर ने एक बयान जारी कर वीके सक्सेना पर हवाला के जरिये लेनदेन का आरोप लगाया था और उन्हें कायर कहा था. मेधा पाटकर ने कहा था वीके सक्सेना गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहे थे.

मेधा पाटकर के खिलाफ वीके सक्सेना ने आपराधिक मानहानि का केस अहमदाबाद की कोर्ट में 2001 में दायर किया था. 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई गुजरात से दिल्ली के साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था. मेधा पाटकर ने 2011 में खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही. वीके सक्सेना ने जब अहमदाबाद में केस दायर किया था उस समय वह नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे.

ये भी पढ़ें: आपराधिक मानहानि मामले में सजा को मेधा पाटकर ने सेशंस कोर्ट में दी चुनौती

ABOUT THE AUTHOR

...view details