मैसूर:भारत दुनिया में बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक है. लेकिन बाजरे के प्रसंस्करण और उपयोग के लिए तरीकों और सुविधाओं की कमी है. इसी संदर्भ में मैसूर के सीएफटीआरआई में बाजरे के उत्कृष्टता और ऊष्मायन केंद्र की स्थापना की गई है. यह देश का पहला केंद्र है और इसका उद्घाटन शुक्रवार शाम को कर्नाटक के कृषि मंत्री चालुवरया स्वामी ने किया.
"सीएफटीआरआई ने बाजरे पर 200 से अधिक प्रकाशन जारी किए हैं. हमने 2,000 से अधिक परीक्षण किए हैं. इस केंद्र का निर्माण 20 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है."-श्रीदेवी अन्नपूर्णा सिंह, निदेशक, सीएफटीआरआई
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण अनुसंधान संस्थान वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएफटीआरआई) बाजरा प्रसंस्करण इकाई किसानों, व्यापारियों और उद्यमियों सहित सभी के लिए फायदेमंद होगी. इस केंद्र में तीन तरह की गतिविधियां संचालित की जाएंगी. पहला, बाजरे का प्रसंस्करण और पैकेजिंग. दूसरा, बाजरे से खाद्य उत्पादों का निर्माण. तीसरा, बाजरे को संसाधित करने की तकनीक है ताकि उसे बिना खराब हुए लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सके.
"यहां एक ऐसी तकनीक है जिससे एक घंटे में 300-500 किलो रागी चावल का उत्पादन किया जा सकता है. बेकिंग लाइन से 5,000 ब्रेड का उत्पादन किया जा सकता है. साथ ही कुकीज और बिस्किट भी बनाए जा सकते हैं. पैकिंग लाइन की पैकिंग क्षमता 250 किलो है. 8 से 10 लोगों की टीम इस इनक्यूबेशन का उपयोग करके अपनी सामग्री तैयार कर सकती है. किसान यहां आकर अपने उत्पाद का मूल्य बढ़ा सकते हैं."- डॉ. मीरा, वैज्ञानिक सीएफटीआरआई