नई दिल्ली:अमेरिका में 2034 तक कम से कम एक लाख डॉक्टरों की कमी होने की आशंका जताई जा रही है. ऐसे में अमेरिका की नजर भारतीय चिकित्सकों पर है. जानकारी के मुताबिक, अमेरिका दूरदराज और कम आय वाले इलाकों में स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए, शिक्षित और योग्य डॉक्टरों पर अपनी निगाहें गड़ा दी है. अमेरिका चाहता है कि, योग्य भारतीय चिकित्सक कम सेवा वाले क्षेत्रों में मेडिकल प्रैक्टिस करते हुए वहां के मरीजों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर सकें. आने वाले दिनों में देश में चिकित्सकों की भारी कमी को दूर करने के लिए अमेरिका की तरफ से भारतीय चिकित्सकों को एक स्पेशल J1 वीजा श्रेणी में शामिल किया गया है. जिसके तहत कम से कम 5 हजार डॉक्टरों को अमेरिका में प्रवेश मिलेगा. हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका की लगभग 20 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. आश्चर्य की बात है कि, 20 प्रतिशत आबादी के लिए केवल 11 फीसदी डाक्टर ही मौजूद हैं.
शोध क्या कहता है?
इस विषय पर कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सैन डिएगो स्कूल ऑफ ग्लोबल पॉलिसी एंड स्ट्रैटेजी का एक नया शोध आया है. इस नए शोध से पता चलता है कि वीज़ा आवश्यकताओं में छूट अधिक विदेशी प्रशिक्षित डॉक्टरों को अमेरिकी प्रशिक्षित डॉक्टरों के रोजगार को कम किए बिना दूरदराज और कम आय वाले क्षेत्रों में अभ्यास करने में सक्षम बनाती है. शोध से यह भी पता चलता है कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों में डॉक्टरी की पढ़ाई पूरा करने वाले चिकित्सकों की सीमित आपूर्ति के साथ, विदेश में जन्मे और शिक्षित चिकित्सक वंचित क्षेत्रों में आपूर्ति का एक संभावित स्रोत प्रदान कर सकते हैं.
कॉनराड 30 छूट कार्यक्रम क्या है
नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास ने ईटीवी भारत को बताया कि वंचित क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए कॉनराड 30 छूट कार्यक्रम पिछले कुछ समय से मौजूद है. यह J1 वीजा पर स्नातकों को अपने देश लौटने की छूट है. 1994 में शुरू किया गया कॉनराड 30 छूट कार्यक्रम, जे-1 विदेशी मेडिकल स्नातकों (एफएमजी) को जे-1 एक्सचेंज विज़िटर कार्यक्रम के पूरा होने पर 2 साल की विदेशी निवास आवश्यकता की छूट के लिए आवेदन करने की अनुमति देता है. कार्यक्रम में अधिकांश प्रतिभागी स्वास्थ्य पेशेवर कमी वाले क्षेत्रों (या एचपीएसए) में काम करते हैं, ऐसे क्षेत्र जहां पर्याप्त संख्या में प्राथमिक देखभाल चिकित्सकों, दंत चिकित्सकों या मानसिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं की कमी है.