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कांग्रेस पार्टी हरियाणा इकाई के नए अध्यक्ष और विधायक दल के नेता पर फैसला करेगी

कांग्रेस आलाकमान जल्द ही हरियाणा में नए राज्य इकाई प्रमुख और विधानसभा में विधायक दल के नेता पर फैसला करेगा.

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कांग्रेस पार्टी (file photo-ANI)

By Amit Agnihotri

Published : Oct 17, 2024, 7:18 PM IST

नई दिल्ली :कांग्रेस आलाकमान जल्द ही भाजपा शासित हरियाणा में नए नेतृत्व पर फैसला करेगा, जिसमें राज्य इकाई प्रमुख और विधानसभा में विधायक दल के नेता शामिल होंगे.पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पूर्व कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और राज्य इकाई के प्रमुख उदयभान, जिन्हें हुड्डा का सहयोगी माना जाता है, के लिए एक और कार्यकाल मिलने की संभावना बहुत कम है. क्योंकि इस चुनावी झटके के बाद कांग्रेस 37 सीटों पर ही सिमट गई, जो सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत से 9 सीटें कम हैं.

राहुल गांधी और पार्टी प्रमुख खड़गे सहित कांग्रेस आलाकमान को 10 साल बाद हरियाणा में जीत की उम्मीद थी, लेकिन भाजपा ने आश्चर्यजनक रूप से 90 में से 48 सीटें जीतकर तीसरी बार जीत हासिल कर ली. हरियाणा के प्रभारी एआईसीसी सचिव मनोज चौहान ने ईटीवी भारत को बताया कि "नवनिर्वाचित विधायकों की एक बैठक 18 अक्टूबर को चंडीगढ़ में होगी. परंपरा के अनुसार, वे नए कांग्रेस नेता पर फैसला करने के लिए एआईसीसी प्रमुख को अधिकृत करेंगे."

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, हाईकमान ने हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष की बैठक के लिए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा सहित तीन पर्यवेक्षकों को भेजने का फैसला किया है. सत्ता संतुलन बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी के नेता और राज्य इकाई प्रमुख के नाम हुड्डा और उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों लोकसभा सदस्य कुमारी शैलजा और राज्यसभा सदस्य रणदीप सुरजेवाला के खेमों से हो सकते हैं.

कांग्रेस विधायक दल की बैठक से दो दिन पहले शक्ति प्रदर्शन के तहत हुड्डा ने 16 अक्टूबर को नवनिर्वाचित विधायकों की एक अनौपचारिक बैठक बुलाई, जिसमें प्रतिद्वंद्वी खेमों के छह विधायक शामिल नहीं हुए. इनमें रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला, पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बेटे चंद्र मोहन, शैली चौधरी, अकरम खान, रेनू बाला और नरेश सेलवाल शामिल हैं. रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा दोनों ही विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे और उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी भी पेश की थी, लेकिन आलाकमान ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी.

हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच गुटबाजी, पार्टी से अधिक निजी हित को प्राथमिकता देना और लगभग 17 सीटों पर प्रायोजित बागियों की मौजूदगी को पुरानी पार्टी के अपेक्षा से कम प्रदर्शन के कारणों के रूप में पहचाना गया. वहीं नाराज किसानों, परेशान जाटों और सेवा शर्तों से नाराज अग्निवीरों जैसे जटिल मुद्दों पर जनता का समर्थन जुटाने के लिए भाजपा के घर-घर अभियान ने सत्तारूढ़ पार्टी को सत्ता विरोधी लहर से निपटने में मदद की.

उन्होंने कहा, "राज्य में पार्टी मजबूत है और हमारा वोट शेयर बीजेपी के बराबर है. हां, हमने कुछ सीटें खो दी हैं और समिति उस परिणाम के पीछे के कारणों की जांच कर रही है." एआईसीसी पदाधिकारी मनोज चौहान ने कहा, "राज्य में पार्टी को मजबूत करने के लिए अगली कार्रवाई तथ्य-खोजी समिति की रिपोर्ट पेश होने के बाद की जाएगी." उन्होंने कहा, "बीजेपी ने पिछले 10 सालों में कुछ नहीं किया, लेकिन किसी तरह ईवीएम की मदद से चुनाव जीतने में कामयाब रही. अब उन्हें नतीजे दिखाने होंगे और वादे पूरे करने होंगे, हम इस पर नज़र रखेंगे."

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