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लोकसभा चुनाव 2024 : कांग्रेस को भरोसा, 'अभी तक फ्रंटफुट पर है पार्टी' - lok sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

lok sabha election 2024 : कांग्रेस का दावा है कि अभी तक के चुनाव में उसे बढ़त मिल रही है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पिछले 10 वर्षों में पीएम मोदी ने कभी भी संवाददाता सम्मेलन को संबोधित नहीं किया है, जबकि राहुल गांधी ने लगभग 150 प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया है.

Rahul Gandhi
राहुल गांधी (ANI File Photo)

By Amit Agnihotri

Published : May 12, 2024, 5:01 PM IST

नई दिल्ली:राष्ट्रीय चुनाव के तीन चरण बीत चुके हैं. कांग्रेस का आंतरिक आकलन है कि सबसे पुरानी पार्टी फ्रंटफुट पर खेल रही है. उसके पक्ष में कई सकारात्मक चीजें हैं. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस का सोशल मीडिया अभियान विभिन्न प्लेटफार्मों पर हावी हो रहा है, जहां पहले भाजपा को बढ़त हुआ करती थी.

इसके अलावा, पार्टी का घोषणापत्र निर्वाचित होने के कुछ महीनों के भीतर लाखों सरकारी नौकरियां देने के वादे पर केंद्रित था और आवश्यक वस्तुओं की ऊंची कीमतों पर अंकुश लगाने के आश्वासन को युवा और महिला मतदाताओं का समर्थन मिल रहा था. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि दूसरे स्तर पर, जमीनी स्तर पर इंडिया ब्लॉक के सहयोगियों के बीच जिस तरह का समन्वय हो रहा है, वह भी विपक्षी समूह के पक्ष में झुकाव में योगदान दे रहा है.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, इन सभी कारकों के साथ-साथ ऐसे संकेतक भी मिले कि लोग बदलाव की उम्मीद कर रहे थे, जिसने पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी को एक सार्वजनिक बहस की पेशकश स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया, यह अच्छी तरह से जानते हुए कि यह कदम पार्टी नेता को सीधे पीएम मोदी के खिलाफ खड़ा कर देगा.

एआईसीसी के गुजरात प्रभारी सचिव ने ये कहा :एआईसीसी के गुजरात प्रभारी सचिव बीएम संदीप कुमार ने ईटीवी भारत को बताया, 'तीन चरणों के मतदान के बाद कांग्रेस निश्चित तौर पर फ्रंटफुट पर खेल रही है. हम जमीन पर और सोशल मीडिया दोनों के माध्यम से बहुत आक्रामक अभियान चला रहे हैं. हमारा अभियान लोगों से जुड़े मुद्दों पर आधारित है और वे बड़ी संख्या में आकर हमारी रैलियों का जवाब दे रहे हैं. इसके अलावा, हमारा आक्रामक सोशल मीडिया अभियान आम लोगों तक पहुंच गया है जो हमारे संदेशों को अपने स्तर पर बढ़ा रहे हैं. वे बड़े-बड़े दावों वाली मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल से नाराज हैं.'

उन्होंने कहा कि 'जहां तक ​​हमारे नेता राहुल गांधी द्वारा सार्वजनिक बहस की पेशकश स्वीकार करने का सवाल है, यह एक बहुत ही लोकतांत्रिक कदम है. लोकतंत्र में प्रासंगिक मुद्दों पर स्वस्थ बहस होनी चाहिए. लेकिन मेरी समझ यह है कि प्रधानमंत्री बहस में शामिल नहीं होंगे क्योंकि उन्हें डर है. पिछले 10 वर्षों से शासन करने के बावजूद अब तक हमने उन्हें अपनी उपलब्धियों के बारे में बात करते नहीं सुना है. वह केवल विभाजनकारी मुद्दे उठाकर विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके विपरीत कांग्रेस पार्टी के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के पास लोगों के साथ साझा करने के लिए उपलब्धियों की एक लंबी सूची थी.'

एआईसीसी के महाराष्ट्र प्रभारी सचिव आशीष दुआ के अनुसार, पहले के राष्ट्रीय चुनावों में भी विपक्षी समूह थे, लेकिन इस बार जिस तरह का समन्वय हो रहा है वह असामान्य था.

दुआ ने ईटीवी भारत को बताया, 'मैंने पहले भी कई गठबंधन देखे हैं. ज्यादातर बड़े नेता एक साथ आते, प्रचार करते और चले जाते. गठबंधन के स्थानीय पार्टी कार्यकर्ता एक-दूसरे के साथ मेलजोल नहीं रखेंगे. लेकिन इस बार जिस तरह से विभिन्न विपक्षी दलों के कार्यकर्ता एकजुट होकर गठबंधन उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने में योगदान दे रहे हैं, वह कुछ खास है. यह वास्तव में चुप रहने वाले लोगों के बीच मोदी सरकार के खिलाफ मजबूत अंतर्धारा को दर्शाता है.'

'बहस से क्यों कतरा रहे मोदी' :एआईसीसी पदाधिकारी ने भाजपा के इस दावे पर सवाल उठाया कि मोदी बनाम राहुल जैसे मुकाबले से भगवा पार्टी को मदद मिलेगी. दुआ ने कहा कि 'प्रधानमंत्री एक मजबूत व्यक्ति की छवि पेश करते हैं लेकिन उन्होंने पिछले 10 वर्षों में कभी भी एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित नहीं किया है. चुनिंदा मीडिया समूहों के लिए केवल स्क्रिप्टेड साक्षात्कार ही हुए हैं. इसके विपरीत, राहुल गांधी ने पिछले एक दशक में लगभग 150 प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया है. वह कठिन सवालों के लिए तैयार हैं. यदि भाजपा को लगता है कि मोदी बनाम राहुल मुकाबले से उन्हें मदद मिलेगी, तो प्रधानमंत्री सार्वजनिक बहस से क्यों कतरा रहे हैं, जो कि लोकतंत्र में बहुत सामान्य बात है.

उन्होंने कहा कि 'भाजपा ने पिछले एक दशक में राहुल गांधी की नकारात्मक छवि बनाने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च किए लेकिन भारत जोड़ो यात्रा ने उनके प्रचार को ध्वस्त कर दिया. कोई आश्चर्य नहीं कि हाल ही में सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के संदेशों पर भारी प्रतिक्रिया हुई है.'

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